संपादकीय

रामभरोसे यातायात, प्रयास विफल

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राजधानी देहरादून समेत राज्य के बड़े नगरों में यातायात की व्यवस्था एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। देहरादून में तो यातायात प्रबंधन इस बुरी तरह से बिगड़ चुका है कि अब इसकी चपेट में अति आवश्यक सेवाएं भी आ गई है। अक्सर एम्बुलेंस सहित दूसरी आपातकालीन सेवाओं को भी इस जाम का शिकार बनना पड़ रहा है जबकि स्कूलों की छुट्टी के समय तो पूरे शहर की गति ही थम जाती है। यातायात पुलिस के अब तक के किए गए प्रयास कुछ अधिक रंग छोड़ते नजर नहीं आए हैंलिहाजा एक और प्रयोग पुलिस की ओर से किया गया है जिसमें कुछ स्कूलों के लिए ट्रैफिक रेगुलेटरी जारी की गई है जिसमें अभी 21 स्कूलों को शामिल किया गया है जो अलग-अलग समय पर अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को स्कूल बुलाएंगे और उनकी छुट्टी करेंगे। पुलिस का यह प्रयोग कोई अधिक असर दिखाएगा इसकी संभावनाएं कम ही नजर आ रही है क्योंकि छुट्टी के समय में 10 से 15 मिनट का ही अंतर रखा गया है जो यातायात के संचालन के लिए कोई अधिक प्रभावकारी साबित होने वाला नहीं है। इसके अलावा कई ऐसे स्कूल भी है जो एक साथ छूटते हैं और इन स्कूलों की भीड़ सीधे मुख्य सड़कों पर आती है इसके बाद पूरे शहर में जाम का माहौल नजर आता है। यातायात पुलिस ने स्कूलों के लिए जारी किए गए निर्देशों के पीछे वीआईपी मूवमेंट से लेकर शासकीय कार्यों एवं आपातकालीन सेवाओं का हवाला दिया है लेकिन हकीकत तो यह है की देहरादून की यातायात व्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में पटरी से उतरती हुई नजर आ रही है और यात्रा संचालन के लिए किए गए प्रयास कसौटियों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। स्कूलों के समय में परिवर्तन करने से अधिक कुछ हासिल होने वाला नहीं है क्योंकि छुट्टी के समय लगने वाला जाम चंद घंटे का होता है जबकि अन्य समय में भी दून की मुख्य सड़क वाहनों के सैलाब से ही नजर आती है और जगह-जगह जाम इस शहर की पहचान बन चुकी है। सरकार और जनपद पुलिस के पास देहरादून के यातायात को लेकर कोई बड़ा प्लान नहीं है और दून की यात्रा व्यवस्था को जहां एक तरफ सुधारने का प्रयास किया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ वाहनों की बढ़ती संख्या सब प्रयासों पर पानी फेर देती है। राजधानी की सड़कों का चौरीकरण भी एक निश्चित सीमा तक ही सीमित है और इस क्षेत्र में अधिकांश मुख्य सड़कों को चौड़ीकरण किया जा चुका है। यातायात प्रबंधन के लिए अब जरूरी हो गया है कि शहर के बीच में फ्लाई ओवर व्यवस्थाओं पर सरकार प्रोजेक्ट लाए जाएं क्योंकि देहरादून शहर का मुख्य क्षेत्र और अधिक विस्तार के लायक नहीं रह गया है। ट्रैफिक जाम का सारा ठीकरा सिर्फ स्कूलों पर फोड़ना ठीक नहीं है क्योंकि जाम की स्थिति स्कूलों के लगने व छुट्टी के अतिरिक्त भी नजर आती है। सबसे बड़ी समस्या उन अभिभावकों को लेकर है जो अपने एक-एक बच्चे को लेकर बड़े वाहनों में स्कूल आते हैं जबकि निश्चित तौर पर यह कार्य दोपहिया वाहन से भी हो सकता है जो सभी के लिए सुविधाजनक एवं सुचारु पूर्ण साबित होगा। जिम्मेदारियां सिर्फ पुलिस और सरकार की नहीं है बल्कि इसमें अभिभावकों एवं वाहन चालकों की सूझबूझ एवं अपने दायित्व के निर्वहन को भी समझने की जरूरत है।

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