उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से हटाए गए 46 हजार लाउडस्पीकर, ईद को लेकर प्रशासन अलर्ट
लखनऊ, एजेंसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद उत्घ्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतर गए हैं या फिर उनकी आवाज मानकों के अनुसार धीमी कर दी गई है। राज्घ्यव्घ्यापी अभघ्यिान में धार्मिक स्थलों से करीब 46,000 अनधित लाउडस्पीकरों को हटा दिया गया है। वहीं 59,000 अन्य लाउडस्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी निर्देशों के मानक के अनुसार रखा गया है। यूपी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को नियंत्रित करने का अभियान बिना किसी भेदभाव के लागू किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल से शुरू हुए इस अभियान के तहत शनिवार सुबह तक कुल 45,733 लाउडस्पीकरों को हटा दिया गया और 58,861 अन्य लाउडस्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी दघ्शिा निर्देशों तक कम कर दिया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा कि राज्य सरकार ने 30 अप्रैल तक जिला अधिकारियों से अभघ्यिान के अनुपालन की रिपोर्ट भी मांगी है। उन्होंने बताया कि धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए राज्यव्यापी अभियान 25 अप्रैल को शुरू किया गया था, जो आगे भी जारी रहेगा।
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि वे लाउडस्पीकर जिन्हें जिला प्रशासन से उचित अनुमति के बिना रखा गया है या जो अनुमतिघ् संख्या से अधिक उपयोग किए जाते हैं, उन्हें अनधित के रूप में वर्गीत किया गया है। उन्घ्होंने कहा कघ्ियह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का पालन करते हुए की जा रही है। कहा, मुख्यमंत्री ने यह देखते हुए निर्देश दिया था कि लोगों को अपनी आस्था के अनुसार धार्मिक प्रथाओं को करने की स्वतंत्रता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आवाज परिसर से बाहर न जाए। लोगों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े। इस बीच, उच्घ्च अधिकारियों ने ईद के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धार्मिक प्रमुखों से भी बात की। कहा, राज्य में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रांतीय सशस्त्र पुलिस बल की कुल 46 कंपनियां, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की सात कंपनियां और 1,492 पुलिस रंगरूट तैनात किए गए हैं।
पहले प्रदेश में 230 विधिक अधिकारी थे। अब इन संख्या बढ़कर 299 कर दी गई है। प्रदेश में अभी 271 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड में तीन वर्ष से अधिक समय से लंबित प्रकरणों को निस्तारित किया गया है। विगत वर्षों में जिला न्यायालयों के निर्माण कार्य पूरे हो गए हैं।
उत्तराखंड ने पंचवर्षीय व न्यायालय संबंधी आवश्यकताओं के संबंध में उच्च न्यायालय के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसे केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। केंद्र सरकार ने केंद्र पोषित योजना के तहत 80 करोड़ की धनराशि उत्तराखंड के लिए स्वीत की है। उच्च न्यायालय में सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार करते हुए एक तकनीकी अधिकारी के सापेक्ष 26 तकनीकी अधिकारी तैनात किए गए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने श्प्रधानमंत्री संग्रहालयश् का भ्रमण किया और संग्रहालय के अधिकारियों से उसके बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्प्रधानमंत्री संग्रहालयश् प्रधानमंत्री मोदी के विजन का परिणाम है। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा दायित्व है कि हम अपनी युवा पीढ़ी को देश के नायकों के बारे में बताएं। संग्रहालय में डिजिटल टेक्नोलाजी, इतिहास और कला का बेहतर समन्वय देखने को मिलता है। इससे हमें देश के विकास में सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान की जानकारी मिलती है।पहले प्रदेश में 230 विधिक अधिकारी थे। अब इन संख्या बढ़कर 299 कर दी गई है। प्रदेश में अभी 271 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड में तीन वर्ष से अधिक समय से लंबित प्रकरणों को निस्तारित किया गया है। विगत वर्षों में जिला न्यायालयों के निर्माण कार्य पूरे हो गए हैं।उत्तराखंड ने पंचवर्षीय व न्यायालय संबंधी आवश्यकताओं के संबंध में उच्च न्यायालय के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसे केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। केंद्र सरकार ने केंद्र पोषित योजना के तहत 80 करोड़ की धनराशि उत्तराखंड के लिए स्वीत की है। उच्च न्यायालय में सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार करते हुए एक तकनीकी अधिकारी के सापेक्ष 26 तकनीकी अधिकारी तैनात किए गए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने श्प्रधानमंत्री संग्रहालयश् का भ्रमण किया और संग्रहालय के अधिकारियों से उसके बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्प्रधानमंत्री संग्रहालयश् प्रधानमंत्री मोदी के विजन का परिणाम है। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा दायित्व है कि हम अपनी युवा पीढ़ी को देश के नायकों के बारे में बताएं। संग्रहालय में डिजिटल टेक्नोलाजी, इतिहास और कला का बेहतर समन्वय देखने को मिलता है। इससे हमें देश के विकास में सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान की जानकारी मिलती है।