उत्तराखंड

दून अस्पताल की इमरजेंसी में अव्यवस्थाओं पर प्रभारी के बाद अब नोडल भी बदले

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देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी में फैली अव्यवस्थाओं पर कई बदलाव किए गए हैं। अव्यवस्थाओं पर मंत्री-शासन नाराज थे। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने सख्ती बरती है। पहले वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एनएस बिष्ट को इमरजेंसी प्रभारी बनाया। अब नोडल अधिकारी भी ईएमओ डॉ. अमित अरुण को बनाया गया है। वहीं, कई बदलाव कर खुद मॉनीटिरिंग शुरू कर प्रभारी से रोजाना रिपोर्ट तलब की है। प्राचार्य ने दो वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच विवाद-गुटबाजी पर भी विराम का दावा प्राचार्य ने किया है। अभद्रता करने वाले पीजी और जूनियर डॉक्टरों को चिन्हित कर कार्रवाई होगी।ईएमओ एवं पीजी-जेआर के बीच विवादों से व्यवस्थाएं चरमराई है। अब मरीज दिखाने को ईएमओ सीधे ऑन कॉल फैकल्टी (सीनियर डॉक्टर) को कॉल करेंगे। डॉक्टर की जिम्मेदारी होगी कि मरीज तय समय में देखा जाए।ईएमओ कमरे के बजाय पीआरओ काउंटर के बराबर में बैठेंगे। यहां से सीधा मरीजों को देख और इंटर्न-जेआर से दिखवा सकेंगे। ईएमओ रूम को रेस्ट रूम आदि बनाया जाएगा।कुछ ईएमओ पर मेडिकल एवं मरीजों को रेफर को लेकर गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। प्राचार्य ने इमरजेंसी में खुफिया नजर रखवानी शुरू कर दी है। एक ईएमओ सबसे ज्यादा संदिग्ध है। दलालों को लेकर पुलिस अलर्ट पर है। उधर, धूम्रपान को लेकर भी निगरानी बढ़ा दी है।प्राचार्य ने बताया कि इमरजेंसी नोडल अधिकारी के पद से ईएमओ डॉ. मुकेश उपाध्याय ने त्याग पत्र दे दिया था। अब ईएमओ डॉ. अमित अरुण को नोडल की जिम्मेदारी दी गई है। कहा कि शाम-रात की व्यवस्था में सुधार को नोडल बनाए हैं। वह प्रभारी डॉ. बिष्ट को रिपोर्ट करेंगे।इमरजेंसी में मरीजों, स्टॉफ ड्यूटी समेत सभी सामान का रिकार्ड तलब किया गया है। इमरजेंसी के एसएनओ पीडी त्यागी से प्रभारी से सारा रिकार्ड तलब किया और भौतिक निरीक्षण भी प्रभारी करेंगे।सुरक्षाकर्मियों की सुस्ती पर सख्ती बरती गई है। मुख्य गेट, गेट, ट्रायज, बाहर के रास्ते पर 24 घंटे तैनाती रहेगी। एक रजिस्टर अलग से बना दिया है, जिसमें तीनों पालियों में हस्ताक्षर करेंगे। प्रभारी ने लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई को चिट्ठी लिखी है।इमरजेंसी में व्हीलचेयर स्ट्रेचर की कमी बनी है। वार्डों में ले जाकर छोड़ दिया जाता है। जिससे मरीज परेशान होते हैं। इमरजेंसी वार्ड ब्वॉय, पीआरओ कर्मियों की जिम्मेदारी होगी कि वह इन्हें वापस लेकर आए या तीमारदारों से मंगाए।दून अस्पताल की इमरजेंसी में हार्ट अटैक वाले मरीजों को मैकेनिकल सीपीआर दिया जाएगा। इमरजेंसी प्रभारी एनएस बिष्ट ने बताया कि इस मशीन से बेहतर सीपीआर दिया जा सकेगा। वहीं मरीज को गेट से आईसीयू तक शिफ्ट करने के समय में सही सीपीआर मिलने में उसकी जान बचाई जा सकेगी और आईसीयू में इंट्यूबेट हो जाएगा। मशीन को शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) किसी ऐसे व्यक्ति के जीवन को बचाने का एक तरीका है जो कार्डियक अरेस्ट ( हृदय गति और सांस का रुक जाना) में उनके दिल को तीव्र गति से दबाव देकर मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बनाए रखने का काम करता है। यह काफी सरल तकनीक है, जिसे कोई भी सीख सकत है। लेकिन मरीज के एक जगह से दूसरी जगह में ले जाने के दौरान नहीं किया जा सकता। ऐसे में यांत्रिक सीपीआर का सहारा लिया जा सकता है, जो मरीज को शिफ्टिंग के दौरान भी लगातार दिल को तीव्रतर गति से पंप करता है। इमरजेंसी आईसीयू में कॉर्डियक अरेस्ट के मरीज को आईसीयू में वेंटीलेटर तक ले जाने में इसका प्रयोग किया जा रहा है। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया की इमरजेंसी में सीपीआर मशीन आने से कार्डियक अरेस्ट के मरीजों को बचाने का औसत बढ़ेगा। इमरजेंसी में सुविधाएं बढ़ाई जा रही है।

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