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यूक्रेन से लौटे छात्रों को एजुकेशन लोन में राहत देने की तेज हुई कोशिशें, शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल के बाद वित्त मंत्री ने की स्थिति साफ

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नई दिल्ली, एजेंसी। यूक्रेन से युद्घ की विभीषिका के बीच सुरक्षित निकाले गए भारतीय छात्र अपने देश वापस तो आ गए है, लेकिन युद्घ को लंबा खिचता देख अब उन्हें अपनी पढ़ाई के प्रभावित होने व पढ़ाई के लिए लिये गए एजुकेशन लोन की चिंता सताने लगी है। वित्त मंत्रालय ने पूरी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि भारतीय बैंक संघ को यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे छात्रों के एजुकेशन लोन के संबंध में विचार-विमर्श शुरू करने के लिए कहा गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इसे लेकर पूटे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि विदेश मंत्रालय के मुताबिक एक फरवरी 2022 तक लगभग 22500 छात्रों को यूक्रेन से सुरक्षित निकाला गया है। उन्हें आपरेशन गंगा के तहत संचालित उड़ानों के माध्यम से लाया गया।
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व भारतीय बैंक संघ से जुड़े निजी क्षेत्र के 21 बैंकों से जो सूचना मिली है, उसके तहत 31 दिसंबर 2021 तक 1319 छात्रों ने यूक्रेन में अध्ययन के लिए एजुकेशन लोन लिया है। जिसकी कुल राशि 121़61 करोड़ रुपए है। इनके एजुकेशन लोन के संबंध में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है, क्योंकि वहां की मौजूदा स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है। सरकार उस पर नजर रखे हुए है। स्थिति के स्थिर होने ही जरूरी सुधारात्मक कदमों पर विचार किया जाएगा।
इस बीच बैंकों से इस संघर्ष के चलते लिए गए एजुकेशन लोन पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने के लिए भी कहा गया है। सूत्रों की मानें तो स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार इन छात्रों को दिए गए एजुकेशन लोन मेंाण चुकाने की समयावधि बढ़ाने सहित ब्याज की दरों में कमी करने आदि को लेकर बैंकों को कह सकती है। वहीं शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्रालय संयुक्त रूप से इन सभी छात्रों की ठप पड़ी पढ़ाई की बहाली को लेकर जरूरी विकल्पों का भी अध्ययन कर रहे है।

 

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