मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने के लिए चांदी हटाई, तीर्थपुरोहितों से विरोध न करने पर बनी सहमति

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रुद्रप्रयाग। ज्ञमकंतदंजी क्ींउरू केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने के लिए चांदी हटाने का कार्य पूरा हो गया है। चांदी निकालकर मंदिर के भंडारगृह में सुरक्षित रख दिया है। वहीं तांबे की प्लेट लगाने का कार्य भी शुरू कर दिया है। मंदिर समिति का कहना है कि इस संबंध में तीर्थपुरोहितों से वार्ता सार्थक रही है।
केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह व चार खंभों को स्वर्णमंडित करने को लेकर यहां लगे चांदी को हटाने का कार्य तीन दिन पूर्व शुरू किया था। मंदिर समिति के अधिकारियों की मौजूद्गी में चांदी को हटाने के बाद शनिवार को इसे मंदिर के भंडार गृह में सुरक्षित रख दिया।
अब चांदी के स्थान पर तांबा लगाने का कार्य शुरू किया है। गर्भगृह की दीवारों पर तांबा चढ़ाने के बाद नाप लिया जाएगा और फिर से इस तांबे को निकालकर वापस महाराष्ट्र ले जाया जाएगा, जहां तांबे की परत के नाम पर सोने की परत तैयार की जाएगी, जो मंदिर के गर्भगृह, चारों खंभों व स्वयंभू शिवलिंग के आसपास की जलहरी में लगाई जाएगी।
मंदिर समिति के कार्याधिकारी आरसी तिवारी का कहना है कि मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित (ळवसक च्संजपदह विज्ञमकंतदंजी ँससे) करने को लेकर तीर्थपुरोहितों से वार्ता की गई है और दावा किया कि उनसे कोई विरोध न करने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि मंदिर के गर्भगृह में सोना लगना मंदिर समिति के साथ ही सभी के लिए शुभ कार्य है। इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए।
वहीं, तीर्थपुरोहित व केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि जो दानदाता केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोना (ळवसक च्संजपदह विज्ञमकंतदंजी ँससे) लगाना चाहता है, वह आकर तीर्थपुरोहितों से वार्ता करे। उन्होंने कहा कि पौराणिक परंपराओं के खिलाफ मंदिर में टेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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