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अखाड़ों ने दी कुंभ के शाही स्नान बहिष्कार की चेतावनी, महंत नरेंद्र गिरी का भी समर्थन

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हरिद्वार। 2021 अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से संबद्घ तीन बैरागी अखाड़ों और उनकी 18 अणियों ने कुंभ के गंगा स्नान के बहिष्कार की चेतवनी दी है। उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का समर्थन भी हासिल है। बैरागी अखाड़ा बैरागी र्केप में हुए अवैध कब्जों को हटाने और सभी बैरागी अखाड़ों को अपना भवन बनाने के लिए सरकार से लीज भूमि आवंटित करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि अगर बैरागी अखाड़ा कुंभ के शाही स्नान का बहिष्कार करते हैं, तो कोई भी अखाड़ा स्नान नहीं करेगा।
वहीं, बैरागी अखाड़ों के आरोप पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि सरकार को बैरागी अखाड़ों की बात सुननी चाहिए और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए हर उचित व्यवस्था बनानी चाहिए। उनका कहना है कि बैरागी अखाड़ा की यह पुरातन व्यवस्था है और वह लंबे समय पर यहीं पर स्थापित हैं। इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी उचित नहीं है। साथ ही सरकार से मांग की कि वह बैरागी अखाड़ों की मांग को लेकर सर्वसम्मत रास्ता निकालें और उनकी मांग पूरी करें। उन्होंने बैरागी अखाड़ों द्वारा अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि के खिलाफ की गई टिप्पणी को अनुचित कहा और सलाह दी कि बैरागी अखाड़ों को किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने की बजाय अपनी मांग और बात रखनी चाहिए।
बैरागी र्केप में रविवार को पत्रकार वार्ता के दौरान शासन-प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अवैध रूप से हुए निर्माणों को तो नहीं हटाया जा रहा है, लेकिन उन्हें नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है। निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास महाराज ने कहा कि उन्हें बैरागी र्केप से अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया गया है, जो पूरी तरह गलत है। बैरागी संतों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने अखाड़ा परिषद पर भेदभाव के आरोप भी जड़े। निर्मोही अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने कहा कि जरूरत पड़ने पर कुंभ मेले के शाही स्नान और अखाड़ा परिषद का भी बहिष्कार किया जाएगा। उनका कहना है कि सरकार भेजे गए नोटिस का जब तक हल नहीं कर देती, तब तक सरकारी व्यवस्थाओं और सुविधाओं का भी बहिष्कार किया जाएगा।
दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बैठक के दौरान घोषणा की थी कि हरिद्वार में जिन अखाड़ों के अपने भवन हैं, उन्हें इसके अनुरक्षण के लिए 1-1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। तब से बैरागी अखाड़ों की यह मांग जोर पकड़ गई है कि उन्हें भी 1-1 करोड़ रुपये दिए जाएं और भवन बनाने के लिए बैरागी र्केप से अवैध कब्जे हटाकर उन्हें लीज पर भूमि आवंटित की जाए। शनिवार को देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुई बैठक में इसे लेकर कुछ असहमति का भाव उभरा है, जिसके बाद यह फैसला लिया। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि और अखाड़ा परिषद के अन्य पदाधिकारी बैरागी र्केप पहुंच रहे हैं। उसके बाद इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्थिति साफ की जाएगी। शनिवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की देहरादून में हुई बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की तबीयत खराब हो गई थी। इसके बाद उन्होंने आराम किया था और अब उसी हालत में उनका बैरागी र्केप जाना किसी बड़ी बात की ओर इशारा कर रहा है।
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि कोर्ट के आदेश की आड़ में बैरागी अखाड़ों के परंपरागत मंदिर को तोड़ने का उपक्रम करना और रात में इसके लिए नोटिस देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बैरागी आंकड़े कुंभ के गंगा स्नान का बहिष्कार करते हैं, तो कोई भी अखाड़ा गंगा स्नान नहीं करेगा और बैरागी अखाड़ों के साथ इस बहिष्कार में शामिल होगा।
उनका ये भी कहना है कि सरकार को इसके लिए बीच का रास्ता निकालना चाहिए था न कि जेसीबी और डंडा चलाने का नोटिस देना चाहिए था। फोन पर हुई बातचीत में नरेंद्र गिरी ने ये भी कहा कि अखाड़ा परिषद पूरी तरह से बैरागी अखाड़ों के समर्थन में हैं और इस मामले में अपना विरोध दर्ज करती है। बैरागी अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने कहा कि एक तरफ सरकार सहयोग की बात करती है और दूसरी तरफ नोटिस देती है। यह दो तरह की बातें नहीं चलेंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला, तो बैरागी अखाड़ों समेत कोई भी अखाड़ा कुंभ स्नान में शामिल नहीं होगा, उसका बहिष्कार करेगा।

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