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पचास साल पुराने सभी पुलों का होगा आडिट, मंत्रालय ने मरम्मत के कार्यों को तीन माह में पूरा करने का दिया निर्देश

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नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल में देश के विभिन्न हिस्सों में पुराने और बदहाल पुलों के ढहने की घटनाओं को देखते हुए पचास साल पुराने सभी पुलों का तत्काल आडिट करने के लिए कहा है। मंत्रालय ने राज्यों और राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ी एजेंसियों-एनएचएआइ और एनएचआइडीसीएल से कहा है कि आडिट में जिन पुलों में कमी पाई जाती है, उनमें बिना किसी देरी के मरम्मत का कार्य किया जाए और अगर जरूरी हो तो ट्रैफिक कम करने अथवा गति संबंधी प्रतिबंध लगाने जैसे तात्कालिक उपाय किए जाएं। मंत्रालय ने हर महीने की दस तारीख को इससे संबंधित रिपोर्ट तलब की है और तीन माह की समय सीमा के भीतर सुधार संबंधी सभी जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है। इस समयसीमा से केवल उन मामलों में टूट होगी जहां पुलों के पुनर्निर्माण अथवा बड़े पैमाने पर मेंटिनेंस का काम किया जाना है।
मंत्रालय ने कहा है कि किसी भी अन्य सड़क की तुलना में पुल नेशनल हाईवे नेटवर्क की सबसे अहम कड़ी होते हैं। पिछले कुछ समय में पुराने पुलों के ढहने की घटनाएं हुई हैं। इसी तरह निर्माण के दौरान भी पुल और फ्लाईओवर गिरने के मामले सामने आए हैं, जिनमें जनहानि भी हुई है। इस तरह की घटनाएं बार-बार होना खतरे की घंटी है। पुल प्रबंधन की प्रणाली और निर्माण के तौर-तरीकों पर फिर से ध्यान दिया जाना चाहिए। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उन पुलों की पहचान जरूरी है जो बुरी तरह क्षतिग्रस्त होकर बदहाल हो चुके हैं।
मंत्रालय के मुताबिक पुलों में कई तरह की खामियां उभरती हैं, जिनमें कुछ का संबंध उनके उपयोग में उभरीं समस्याओं से होता है तो कुछ उनकी ढांचागत सुरक्षा और स्थिरता से संबंधित होती हैं। इनमें कुछ खामियों को नियमित मरम्मत और रखरखाव से ठीक किया जा सकता है। लेकिन दूसरी तरह की समस्या बहुत गंभीर होती है। इसके चलते पुल ट्रैफिक के लिए खतरनाक हो जाते हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि पुलों की मरम्मत और रखरखाव के प्रस्तावों को इसी वित्तीय वर्ष में मंजूरी मिलेगी और जब तक रखरखाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक अस्थायी उपायों के जरिये पुलों और लोगों की सुरक्षा के कदम उठाए जाएंगे।

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