कोटद्वार-पौड़ी

गैर शैक्षणिक गतिविधियों से होगा बच्चों का सर्वांगीण विकास

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी एवं नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास लालढ़ांग हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में लालढांग में बच्चों का 5 दिवसीय समर कैंप बाल लेखन कार्यशाला शुरू हो गई है। कार्यशाला में बच्चों को पेपर मैसी के तहत अखबार के टुकड़ों से खिलौने बनाने सिखाएं। बच्चों ने अखबार के टुकड़ों से परात, थाली, प्लेट, कटोरे आदि तैयार किए।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास लालढ़ांग में आयोजित समर कैंप का उद्घाटन करते हुए छात्रावास के अधीक्षक योगेश्वर्र ंसह ने कहा कि गैर शैक्षणिक गतिविधियों से भी बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने कहा कि लालढांग में 8, 9 एवं 10 जून को आयोजित राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी में भी समर कैंप के चयनित बच्चे प्रतिभाग करेंगे। समर कैंप के मुख्य संयोजक बालप्रहरी के संपादक एवं बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने कहा कि समर कैंप में बच्चों को कविता, कहानी आदि साहित्य की विधाओं के साथ ही खेल गतिविधियां कराई जाएंगी। समर कैंप के समापन समारोह में बाल कवि सम्मेलन होगा। जिसका संचालन व अध्यक्षता बच्चे करेंगे। कार्यशाला में प्रत्येक बच्चे की लगभग 15 पेज की हस्तलिखित पुस्तक तैयार होगी। समर कैंप की शुरुआत ‘ज्ञान का दीया जलाने’ समूह गीत से हुई। बच्चों को निबंध लेखन की बारीकियां बताई गई। इस दौरान बच्चों ने हस्तलिखित पुस्तक के लिए मेरा परिचय, जीवन की घटना, ड्राइंग आदि तैयार किया। इस अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज किनसुर के शिक्षक महेंद्र सिंह राणा, आकाश कांत, आशीष अग्रवाल, दीपक रतूड़ी, मंगेश, मीना, दीपा, संतोषी, हास्टल वार्डन योगेश्वर सिंह, गोपाल रतूड़ी, तेजस्वी, उत्कर्षा आदि उपस्थित थे।

बच्चों को कहानी लेखन की बारीकियां बताई
साहित्यकार प्रकाश पांडे ने बच्चों को कहानी लेखन की बारीकियां बताई। बच्चों ने दिए गए विषय के आधार पर कविताएं तैयार की। कवियों की अधिक संख्या देखते हुए आयोजकों ने कवि बनने के लिए साक्षात्कार कराया। साक्षात्कार के तहत प्रत्येक कवि को नृत्य भी प्रस्तुत करना था। बाद में बाल कवि सम्मेलन के लिए अध्यक्ष तथा संचालकों का चुनाव खुले मतदान से कराया गया। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रांतीय अध्यक्ष विजय भट्ट, महासचिव एसएस रावत ने कबाड़ से जुगाड़ के तहत बेकार पड़े सामान से विज्ञान के कई प्रयोग बच्चों को सिखाए। बच्चों ने मेरे जीवन की घटना, चुटकुले, मेरी दादी-दादा, नाना-नानी, हमारा हास्टल आदि विषय पर निबंध लिखा।

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