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किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लें केंद्र सरकार : उपपा

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अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर बुधवार को काला दिवस मनाया। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शन कर मोदी सरकार से तत्काल जन और किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा पिछले छह माह से देश के किसान जाड़ा, गर्मी और बरसात की परवाह किए बिना राष्ट्रीय राजधानी के चारों तरफ धरना दे रहे हैं। अब तक 450 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। बावजूद इसके केंद्र सरकार इस आंदोलन को थका कर समाप्त करना चाहती है। जो भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बुधवार को उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा अन्नदाताओं के खिलाफ मोदी सरकार के इस क्रूर और दमनकारी रवैये से पूरा देश हतप्रभ है। उन्होंने कहा सरकार ने महामारी को अपने पूंजीवादी मित्रों के लिए अवसर में बदलते हुए तीन काले कृषि कानून लाकर देश को भारी संकट में डाल दिया है। कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है देश में कोरोना काल में जनता ऑक्सीजन, दवाओं और अस्पताल के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं। उन्होंने ऐसे में हमारे नेता देश में 20 हजार करोड़ रुपये फिजूल खर्च कर नया संसद भवन और अपने लिए आवास बना रहे हैं। जो रोम जल रहा था और नीरो वंशी बजा रहा के कहावत को चरितार्थ कर रहा है। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से राष्ट्र हित में तत्काल तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने, किसानों को उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी के साथ उत्तराखंड में जंगली, जानवरों से नष्ट हो रही खेती को बचाने का अनुरोध किया। यहां केंद्रीय सचिव आनंदी वर्मा, हीरा देवी, गोपाल राम, सरिता मेहरा, हेमा पांडे, किरन आर्या, योगेश बिष्ट, नरेंद्र सिंह, राजू गिरी, उत्तराखंड छात्र संगठन की भारती पांडे, दीपांशु पांडे रहे।

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