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दोषियों को फांसी से कम नहीं.. अंकिता की मां का छलका दर्द, पिता बोले- सबकुछ हो गया खत्म

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देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद मां-बाप का रो-रो कर बुरा हाल है। दिल दहला देने वाली इस हत्याकांड के उत्तराखंड में उबाल है। भाजपा की उत्तराखंड सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों ने मोर्चा खोलते हुए प्रदेश भर में शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मांग ने की है कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले। अंकिता का मां सोनी देवी का दर्द छलका और कहती हैं कि दोषियों को फांसी से कम मंजूर नहीं है। पिता का भी रो-रो कर बुरा हाल है और वो बस एक ही बात कह रहे हैं — सबकुछ खत्म हो गया़.़।
बीते एक सप्ताह से बेटी की राह देख रही अंकिता की मां का घर पर रो-रो का बुरा हाल है। हर पल मां की जुबां पर अपनी लाड़ली का नाम आ रहा है। वह कहतीं-मेरी साक्षी (अंकिता का घर नाम) किसी से कम नहीं थी। बचपन से ही होनहार रही अंकिता की मां सोनी देवी कहती हैं कि मैंने तो उसे पढ़ाई के समय कहा था कि होटल मैनेजमेंट मत कर, लेकिन उसकी यही पसंद थी और उसने यही जब भी अपनाया। बच्चों की पसंद के साथ ही हर किसी माता-पिता को चलना पड़ता है।
हमने भी फिर उसे रोका नहीं और कोई कमी भी नहीं होने दी। साक्षी से फोन पर 17 सितंबर को आखिरी बार बात हुई थी उसके बाद उसका फोन नहीं लगा, फोन पर मैसेज का जवाब भी नहीं आया। अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र भंडारी को यह विश्वास नहीं हो पा रहा है उनकी बेटी अब नहीं रही। उन्होंने बताया कि बड़े लाड-प्यार से बेटी को पाल पोसकर बड़ा किया। पिता ने बेटी के भविष्य के लिए कई सपने संजोए थे, लेकिन अंकिता की मौत ने उन्हें अंदर से कमजोर कर दिया।
अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी शुक्रवार को लक्ष्मणझूला थाने में लोगों के साथ अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए डटे रहे। उन्होंने बेटी के हत्यारों को फांसी सजा दिलाने की मांग उठाई। बताया कि अंकिता देहरादून में छह माह का होटल मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स किया। कोर्स पूरा करने के वह अपने लिए जब की तलाश कर रही थी। इस दौरान गंगाभोगपुर स्थित वनंतरा रिजर्ट में रिस्पेशनिस्ट की नौकरी मिली। बीते माह की 28 अगस्त से वह यहां पर काम कर रही थी, लेकिन 18 सिंतबर के बाद से वह रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गई।
हरिद्वार। अंकिता 22 दिन ही नौकरी कर पाई। दरिंदो ने पहली सैलरी मिलने से पहले ही अंकिता को मार डाला। अंकिता की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए वह दूसरी नौकरी भी तलाश रही थी। लेकिन दरिंदो ने पहले ही उसे मार डाला। पूर्व दर्जाधारी के रिसर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली अंकिता भंडारी 11 सितंबर को ही नौकरी छोड़ना चाहती थी, क्योंकि वह 14 दिन में ही काम करने परेशान हो गई थी। 10 सितंबर को अंकिता ने अपने कई परिचितों से नौकरी लगाने की गुहार लगाई थी।
अंकिता हरिद्वार औराषिकेश में ही काम करना चाहती थी। देहरादून से एचएम का कोर्स करने वाली अंकिता की पहली जब वनंतर रिसर्ट में ही लगी थी। हरिद्वार निवासी एक युवक को इसी रिसर्ट में 27 अगस्त को सुपरवाइजर के पद पर नौकरी मिली थी। सुपरवाइजर ने उनको काम सिखाने में मदद की थी। अन्य कर्मियों से अनबन के कारण हरिद्वार निवासी युवक ने 8 सितंबर को ही नौकरी छोड़ दी थी। सुपरवाइजर ने बताया कि अंकिता अपने काम से परेशान हो गई थी। उसने 10 को मैसेज भेजकर किसी अन्य होटल या रिसर्ट में काम लगाने की बात कही थी।

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