कोटद्वार-पौड़ी

आठ दिनों से ठप्प पड़ी है ज्वाल्पा पंपिंग योजना

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– ज्वाल्पा पंपिंग योजना से जुड़े 38 गांव प्रभावित
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। जिले के जल संस्थान व विद्युत विभाग की आपसी खींचतान क्षेत्र के 38 गांवों के ग्रामीणों को दिन-ब-दिन भारी पड़ती जा रही है। ट्रांसफार्मर फूंकने से क्षेत्र की ज्वाल्पा पंपिंग पेयजल योजना आठ दिनों से ठप पड़ी हुई है। जिससे योजना से जुड़े 38 गांवों के ग्रामीण प्यासे हैं। पेयजल आपूर्ति को सुचारु करने के बजाय जल संस्थान ट्रांसफार्मर को विद्युत विभाग का बता रहा है। जबकि विद्युत विभाग ट्रांसफार्मर को जल संस्थान का बता रहा है। दोनों विभागों के बीच समन्वय की कमी के चलते ग्रामीणों को पेयजल की किल्लत से जूझने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ज्वाल्पा पंपिंग पेयजल योजना से सिलथ, सरक्याणा, पयासू, धारकोट, बूंगा, नौली, थापली, नौडियाल गांव, पल्ली, ननसू, गहड़, कठूड़, ख्वीड, अणेथ, दुलिंडा, भीली सहित क्षेत्र के 38 गांवों के ग्रामीणों को पेयजल आपूर्ति होती है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि नौगांव में ट्रांसफार्मर फूंकने से विगत आठ दिनों से पेयजल योजना से जलापूर्ति पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई है। पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख कल्जीखाल जगपाल सिंह, पूर्व कनिष्ठ प्रमुख दरवान सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी बिष्ट, एलआर मलासी व गिरवर सिंह ने बताया कि ज्वाल्पा पंपिंग पेयजल योजना विगत 8 दिनों से ठप्प पड़ी हुई है। जिसकी शिकायत जल संस्थान के अधिकारियों को दी गई, लेकिन कोई भी ग्रामीणों की सुध लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि विगत दो माह पूर्व भी योजना से पेयजल आपूर्ति बाधित हुई थी। उसके बाद भी विभाग की लापरवाही में कोई सुधार नहीं आया है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों व बेजुबां मवेशियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पेयजल आपूर्ति जल्द सुचारु नहीं होती है, तो ग्रामीण आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे। जल संस्थान के सहायक अभियंता एके वर्मा ने बताया कि योजना से पेयजल आपूर्ति चार दिनों से ठप है। ट्रांसफार्मर विद्युत विभाग का है। जिसे ठीक किए जाने के लिए विद्युत विभाग के साथ ही जिलाधिकारी को भी पत्र भेजा गया है, लेकिन अभी तक विद्युत विभाग की ओर से ट्रांसफार्मर सुधारने के लिए कोई पहल नहीं की गई है। जिससे पेयजल आपूर्ति सुचारु करने में परेशानियां आ रही हैं। वहीं विद्युत वितरण खंड पौड़ी के अधिशासी अभियंता अभिनव रावत ने कहा कि ट्रांसफार्मर विद्युत विभाग का नहीं है। बावजूद इसके विभाग ट्रांसफार्मर को ठीक करने के लिए आगे आकर मदद करने को तैयार है, लेकिन जल संस्थान के अधिकारियों की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।

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