भगवान शंकर वैराग्य व त्याग के स्वरूप
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पदमपुर मोटाढाक के शिव शक्ति मंदिर में राम जन्मभूमि निर्माण के उपलक्ष्य में शिव शक्ति कथा शुरू हो गई है।
कथावाचक आचार्य राकेश चन्द्र लखेड़ा कहा कि भगवान शंकर वैराग्य व त्याग के स्वरूप हैं। भगवान शिव का परिवार भी विलक्षण ही है, एक पुत्र गज मुख है तो दूसरा षडानन, एक का वाहन मूषक है तो दूसरे का मोर। देवी पार्वती का वाहन सिंह है तो स्वयं बृषभ पर सवार हैं, इतना ही नहीं वेष दिगम्बर है। सभी के परम माता-पिता शिव पार्वती ही हैं। सीता माता ने वर प्राप्ति के लिए शिव शक्ति की पूजा की थी। तभी उन्हें अखण्ड सौभाग्य पति श्रीराम मिले। उनकी महिमा अनन्त है। भगवान शंकर कहते हैं सबसे बड़ा धर्म सत्य है और सबसे बड़ा पाप असत्य है। कलश स्थापना देव भूमि उत्कर्ष सेवक संघ के अध्यक्ष रोशन लाल कुकरेती ने किया। इस अवसर पर मंदिर के पुजारी पण्डित राम भरोसा कंडवाल, श्रीमती इन्दु ममगाईं, ललिता रावत, कमला देवी, अनुराग कंडवाल, प्रेम सिंह रावत, अतुल कंडवाल, मयंक नेगी, श्रीमती विमला शुक्ला, सुरेन्द्र रावत आदि उपस्थित थे।