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भाजपा-अन्नाद्रमुक: एआईएडीएमके ने एनडीए से नाता तोड़ा, क्या बीजेपी को इससे फायदा मिलेगा या राहें मुश्किल होंगी?

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नई दिल्ली, एजेंसी। तमिलनाडु में भाजपा के पुराने सहयोगी एआईएडीएमके ने सोमवार को अपनी राहें अलग करने का एलान कर दिया। दरअसल, एआईएडीएमके ने सोमवार को एक अहम बैठक बुलाई। यह बैठक आगामी लोकसभा चुनाव के नजरिए से काफी अहम थी। बीते काफी समय से दोनों दलों में मतभेद की खबरें आ रही थीं। इन अटकलों को तब और बल मिला जब एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने कहा कि उनका भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं है।
आज आधिकारिक रूप से भाजपा और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन खत्म हो गया। इन तमाम घटनाक्रमों के बीच हमें जानना चाहिए कि एआईएडीएमके की बैठक में क्या हुआ है? गठबंधन को लेकर दोनों दलों में क्या चल रहा था? भाजपा-एआईएडीएमके गठबंधन का इतिहास क्या है? गठजोड़ न होने से किसे नुकसान होगा? आइये समझते हैं…
अन्नाद्रमुक पार्टी नेतृत्व ने आज (25 सितंबर) को तमिलनाडु के चेन्नई में पार्टी मुख्यालय में अपने सचिवों, जिला सचिवों, संसद सदस्यों और विधानसभा सदस्यों के साथ एक बैठक बुलाई। पार्टी के बयान के मुताबिक, बैठक दोपहर करीब 3.45 बजे एआईएडीएमके पार्टी मुख्यालय में शुरू हुई जिसकी अध्यक्षता एआईएडीएमके महासचिव ई पलानीस्वामी ने की।
बैठक में 2024 लोकसभा चुनावों के लिए अन्नाद्रमुक भाजपा गठबंधन और रणनीतियों पर चर्चा हुई। बैठक में तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ अपना रिश्ता खत्म करने का निर्णय लिया। पार्टी के उपसमन्वयक केपी मुनुसामी ने इसका आधिकारिक एलान किया। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक ने बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। अन्नाद्रमुक आज से भाजपा और एनडीए गठबंधन से सभी संबंध तोड़ रही है। भाजपा का राज्य नेतृत्व लगातार पिछले एक साल से हमारे पूर्व नेताओं, हमारे महासचिव ईपीएस और हमारे कैडर के बारे में अनावश्यक टिप्पणी कर रहा है।
18 सितंबर को ही अन्नाद्रमुक ने घोषणा की थी कि भाजपा अब उनकी सहयोगी नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने कहा था कि उनका भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं है और गठबंधन को लेकर चुनाव के समय विचार किया जाएगा। डी जयकुमार ने यह भी साफ किया था कि यह उनका निजी बयान नहीं है बल्कि उनकी पार्टी का रुख है।
इसके साथ ही पार्टी ने आरोप लगाया था कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई गठबंधन धर्म की सीमाओं को लांघ रहे हैं। अन्नाद्रमुक नेताओं ने अन्नादुरई और पेरियार पर टिप्पणी के लिए अन्नामलाई की भी आलोचना की थी। बता दें कि अन्नामलाई ने बीते दिनों राज्य के धार्मिक मामलों के मंत्री पीके शेखर बाबू के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। जिस कार्यक्रम में उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी की थी, उस कार्यक्रम में पीके शेखर बाबू भी मौजूद थे। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अन्नामलाई ने कहा कि 1950 के दशक में अन्नादुरई ने भी सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसका स्वतंत्रता सेनानी पसुंपन मुथुरामालिंगा थेवर द्वारा विरोध किया गया था।
अन्नामलाई के इस बयान पर एआईएडीएमके ने कड़ी आपत्ति जताई। एआईएडीएमके नेताओं ने कहा कि अन्नामलाई ने जानबूझकर अन्नादुरई का अपमान करने की कोशिश की है और उन्हें अन्नादुरई की राजनीति और उनके ज्ञान की समझ नहीं है।
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने बीते गुरुवार को कहा था कि उनकी पार्टी और अन्नाद्रमुक के बीच कोई समस्या नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एआईएडीएमके के किसी भी नेता से कोई दिक्कत नहीं है। अन्नामलाई ने आगे कहा था कि एनडीए में समान विचारधारा वाले दलों को जोड़ने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक माध्यम हैं और 2024 के लोकसभा चुनावों में पीएम पद के लिए उनकी उम्मीदवारी स्वीकार करने वाले सभी लोग एनडीए गठबंधन में हैं, ऐसे में क्या अन्नाद्रमुक इसे स्वीकार करती है? तो इसका उत्तर हां होगा।
भाजपा नेता ने दोहराया था कि उन्होंने अन्नादुरई के बारे में बुरा नहीं कहा था और केवल 1956 की एक घटना का जिक्र किया था। इसलिए, माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं है। अन्नामलाई की मानें तो उन्होंने दिवंगत द्रमुक संरक्षक एम करुणानिधि ने 1998 में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उसी घटना को याद किया था। उन्होंने कहा था कि वैचारिक रूप से, अन्नाद्रमुक और भाजपा अलग-अलग हैं और वैचारिक दृष्टिकोण के संदर्भ में मतभेद असामान्य नहीं हैं और यह कोई बड़ी बात नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और अन्नाद्रमुक मजबूत नेतृत्व के साथ एकजुट देश के लिए खड़े हैं।

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