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बोले पीएम मोदी- डग्स, एप्स और खिलौने हों देसी

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नई दिल्ली , एजेंसी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में देश एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रहा है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने खिलौनों और मोबाइल गेम्स के मामले में आत्मनिर्भर बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। साथ ही उन्होंने कहा कि जितने भी वर्चुअल गेम्स हैं उनकी थीम्स बाहरी हैं। इसलिए मैं देश के युवा टैलंट से कहता हूं कि आप भारत के भी गेम्स बनाइए। यहां पढ़ें संबोधन की मुख्य बातें-
कुछ दिनों बाद, पांच सितंबर को हम शिक्षक दिवस मनाएंगें। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है। साथियों और विशेषकर मेरे शिक्षक साथियों, वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा। देश आज जिस विकास यात्रा पर चल रहा है इसकी सफलता सुखद तभी होगी जब हर एक देशवासी इसमें शामिल होगा, इस यात्रा का यात्री हो, इस पथ का पथिक हो, इसलिए, ये जरूरी है कि हर देशवासी स्वस्थ रहे सुखी रहे और हम मिलकर के कोरोना को पूरी तरह से हराएं।कोरोना तभी हारेगा जब आप सुरक्षित रहेंगे, जब आप श्दो गज की दूरी, मास्क जरुरीश्, इस संकल्प का पूरी तरह से पालन करेंगे। आप सब स्वस्थ रहिए, सुखी रहिए, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अगली मन की बात में फिर मिलेंगे।
डग्स की आपदा प्रबंधन और रेस्क्यू मिशन में भी बहुत बड़ी भूमिका होती हैं। भारत में तो एनडीआरएफ ने ऐसे दर्जनों डग्स को स्पेशली ट्रेन किया है। कहीं भूकंप आने पर, इमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये बहुत एक्सपर्ट होते हैं। साथियों, मुझे यह भी बताया गया कि भारतीय नस्ल के डग्स भी बहुत अच्टे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं। पिछले कुछ समय में आर्मी, सीआईएसएफ, एनएसजी ने मुधोल हाउंड डग्स को ट्रेन्ड करके डग स्कवड में शामिल किया है, सीआरपीएफ ने कोंबाई डग्स को शामिल किया है। इंडियन काउंसिल अफ एग्रीकल्चर रिसर्च भी भारतीय नस्ल के डग्स पर रिसर्च कर रही है।
बीते दिनों, जब हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे, तब एक दिलचस्प खबर पर मेरा ध्यान गया। ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की। एक है सोफी और दूसरी विदा। कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में डग्स की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला। कई किस्से भी सुने। कुछ दिन पहले ही आपने शायद टीवी पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी डग रकी को पूरे सम्मान के साथ आखिरी विदाई दे रही थी। रकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी।
न्यूट्रिशन के इस आंदोलन में पीपुल पार्टिसिपेशन भी बहुत जरूरी है। जन-भागीदारी ही इसको सफल करती है। अगर आपको गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल के स्टैच्यू अफ यूनिटी जाने का अवसर मिला होगा या कोविड के बाद आपको जाने का अवसर मिलेगा, तो, वहां एक यूनिक प्रकार का न्यूट्रिशन पार्क बनाया गया है। खेल-खेल में ही न्यूट्रिशन की शिक्षा वहां जरुर देख सकते हैं। साथियों, भारत एक विशाल देश है, खान-पान में ढेर सारी विविधता है।
हमारे बच्चे, हमारे विद्यार्थी, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, अपना सामर्थ्य दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका पोषण की भी होती है, पोषण की भी होती है। पूरे देश में सितंबर महीने को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा। देश और पोषण का बहुत गहरा संबंध होता है। बच्चों के पोषण के लिए भी उतना ही जरूरी है कि मां को भी पूरा पोषण मिले और पोषण या न्यूट्रिशन का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, कितना खा रहे हैं, कितनी बार खा रहे हैं।
चिंगारी एप युवाओं के बीच हो रही मशहूर
इसी तरह चिंगारी एप भी युवाओं के बीच काफी पपुलर हो रहा है। एक एप है आस्क सरकार। इसमें चौट बोट के जरिए आप इंटरेक्ट कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी टेक्स्ट, अडियो और वीडियो तीनों तरीकों से, ये आपकी मदद कर सकता है।
देश के युवाओं के सामने रखा गया इनोवेशन चौलेंज
भारतीयों के इनोवेशन और सल्यूशन देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है। इस महीने की शुरुआत में देश के युवाओं के सामने, एक एक इनोवेशन चौलेंज रखा गया। हो सकता है आप भी ऐसा कुछ बनाने के लिए प्रेरित हो जाएं। इनमें एक एप है, कुटुकी किड्स लर्निंग एप्लिकेशन ये बच्चों के लिए ऐसा इंटरेक्टिव एप है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बच्चे गणित, विज्ञान में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसमें एक्टिविटिज भी हैं, खेल भी।
आत्मनिर्भर भारत में वर्चुअल गेम्स और टयज में सबको निभानी है अहम भूमिका
साथियों, इसी तरह, अब कंप्यूटर और स्मार्टफोन के इस जमाने में कंप्यूटर गेम्स का भी बहुत ट्रंड है। ये गेम्स बच्चे भी खेलते हैं, बड़े भी खेलते हैं। लेकिन, इनमें भी जितने गेम्स होते हैं, उनकी थीम्स भी अधिकतर बाहर की ही होती हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान में वर्चुअल गेम्स हों, टयज का सेक्टर हो, सभी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। 100 वर्ष पहले, गांधी जी ने लिखा था कि श्असहयोग आंदोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है।श्
सी़वी़ राजू स्थानीय लोगों की गरिमा को लाए वापस
सी़वी़ राजू ने एति-कोप्पका टयज के लिए अब अपने गांव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया मूवमेंट शुरू कर दिया है। बेहतरीन क्वालिटी के एति-कोप्पका टयज बनाकर सी़वी़ राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है। खिलौना वो हो जिसकी मौजूद्गी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।
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