उत्तराखंड

त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाशरू श्रीमहंत रविंद्रपुरी

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हरिद्वार। ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी हंसप्रकाश महाराज का एकादश निर्वाण दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष (महानिर्वाणी) श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाश महाराज को श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि स्वामी हंसप्रकाश त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके सामाजिक सेवा को सैदव याद किया जाएगा।विधानसभा अध्यक्ष रितु खण्डूरी ने कहा कि राजसत्ता धर्म सत्ता के बिना अधूरी है। संतों के आशीर्वाद के बिना जीवन अधूरा है। प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने सभी संत महापुरुषों व अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कहा कि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी हंसप्रकाश महाराज से प्राप्त ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत हंसप्रकाश महाराज दिव्य आत्मा थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण में योगदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्घांजलि है।
हरिद्वार सांसद डा़रमेश पोखरियाल निशंक व पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी हंसप्रकाश महाराज समाज के प्रेरणास्रोत थे। इस अवसर पर स्वामी गुरदेव प्रकाश, संजीव चौधरी, आशीष कुमार, विश्वास सक्सेना, जगदीश लाल पाहवा, प्रमोद शर्मा, डा़विशाल गर्ग, अनिल सैनी, सचिन चाहल आदि मौजूद थे।

 

 

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