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चमोली जिले में तकनीकी शिक्षा के दावे हवाई साबित हो रहे

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गोपेश्वर। चमोली जिले में तकनीकी शिक्षा के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। विकासखंड पोखरी के उडामांडा में स्थानीय युवाओं को तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने के लिए स्वीकृत पॉलीटेक्निक भवन का निर्माण पांच साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। फिलहाल यह संस्थान किराये के भवन पर संचालित हो रहा है। इससे पठन-पाठन में दिक्कतें हो रही हैं। यहां सिविल इंजीनियरिग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल ट्रेड में डिप्लोमा कोर्स संचालित हो रहे हैं। वर्तमान में यहां 80 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
वर्ष 2013-14 में तत्कालीन सरकार ने पोखरी क्षेत्र के युवाओं को व्यवसायिक तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए उडामांडा-परतोली में पॉलीटेक्निक संस्थान के संचालन को स्वीकृति दी थी। वर्ष 2014-15 में कॉलेज के भवन निर्माण के लिए सरकार की ओर से वित्तीय स्वीकृति देते हुए उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को भवन निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई। निर्माण के लिए तीन करोड़ रुपये की भारी-भरकम धनराशि भी स्वीकृत हुई। लेकिन, उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने स्वीकृत धनराशि में से 90 फीसद खर्चकर बजट की कमी बताकर कार्य बंद कर दिया। अभी तक भवन निर्माण में 85 फीसद कार्य ही हुआ है। फिलहाल पॉलीटेक्निक भवन का निर्माण अधूरा पड़ा है। भवन निर्माण न होने के चलते फिलहाल पॉलीटेक्निक की कक्षाएं ब्लॉक मुख्यालय पोखरी के निकट देवर गांव में किराये के भवन में चल रही हैं। यहां प्रयोगशाला भी मौजूद नहीं है। प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिए यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को गौचर पॉलीटेक्निक की दौड़ लगानी पड़ती है। इससे अभिभावकों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही छात्र-छात्राओं का समय भी बर्बाद हो रहा है। पोखरी की ब्लॉक प्रमुख प्रीति भंडारी का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार की ओर से विकास में पिछड़े पोखरी विकासखंड के युवाओं को तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने के लिए पॉलीटेक्निक संस्थान को स्वीकृति दी गई। लेकिन, मौजूदा सरकार की ओर से शिक्षा को लेकर पुख्ता प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जिससे पॉलीटेक्निक संस्थान उडामांडा-पोखरी के संचालन में दिक्कतें स्वाभाविक हैं। मामले में बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट का कहना है कि स्वीकृत राशि में कार्य पूरा न करने पर उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के खिलाफ जांच कर धनराशि की वसूली की मांग मुख्यमंत्री से की गई है। पॉलीटेक्निक कॉलेज के शेष कार्य की डीपीआर बनाने को कहा गया है ताकि भवन निर्माण कार्य पूरा हो सके।

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