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चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, भारत ने लद्दाख में बढ़ाई सैनिकों और हथियारों की तैनाती

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नई दिल्ली, एजेंसी। चीन की हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास सभी श्रणनीतिक बिंदुओंश् पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि घुसपैठ की चीनी कोशिश को विफल करने के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे सभी क्षेत्रों में समग्र निगरानी तंत्र को और मजबूत किया गया है। शीर्ष सैन्य एवं रक्षा प्राधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में पूरी स्थिति की समीक्षा की है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने ताजा टकराव को लेकर शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की।
सूत्रों ने बताया कि वायुसेना से भी पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। ऐसी रिपोर्ट है कि चीन ने उसके रणनीतिक रूप से अहम होतान एयरबेस पर लंबी दूरी के लड़ाकू विमान जे-20 और कुछ अन्य एसेट तैनात किए हैं। पिछले तीन महीने में, भारतीय वायुसेना ने अपने सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई-30 एमकेआइ, जगुआर और मिराज-2000 पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती एयरबेस और एलएसी के पास अन्य स्थानों पर तैनात किए हैं।
भारतीय वायुसेना ने चीन को परोक्ष तौर पर यह स्पष्ट संदेश देने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवाई गश्त की कि वह पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में अपाचे लड़ाकू हेलीकप्टरों के साथ-साथ विभिन्न अग्रिम मोर्चो पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए चिनूक हैवी-लिफ्ट हेलीकप्टरों को भी तैनात किया है।
भारत-चीन के बीच 15 जून को गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद यह पहली बड़ी घटना है जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन के सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने सार्वजनिक तौर पर नहीं बताया कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए थे। हालांकि अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, इसमें चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। भारत और चीन ने पिछले ढाई महीनों में कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के समाधान के लिए कोई अहम प्रगति नहीं हुई।

भारतीय सेना की कार्रवाई से बौखलाया चीन, बोला- 70 साल में एक इंच विदेशी जमीन पर नहीं किया कब्जा
बीजिंग , एजेंसी। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के लिए चीन ने भारत को जिम्मेदार ठहराया है। बीजिंग ने कहा है कि भारत और चीनी सैन्य बयान अलग-अलग थे। वहां केवल एक सच्चाई और तत्थ था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है कि नए चीन के इतिहास में उसने कभी भी दूसरे देश के क्षेत्र में एक इंच भी कब्जा नहीं किया। बीजिंग ने कहा है कि भारत को चीन की चिंताओं की गंभीरता से लेना चाहिए और सीमा पर शांति कायम करने में योगदान देना चाहिए।
बता दें कि आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि भारतीय सेना ने ऐसा पैंगोंग सो क्षेत्र में एकतरफा यथास्थिति बदलने के चीन की सेना (पीएलए) के असफल प्रयास के बाद किया। सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि चीन की सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात श्श्एकतरफा तरीके से पैंगोंग सो के दक्षिणी तट पर यथास्थिति बदलने के लिए श्श्उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि की लेकिन भारतीय सैनिकों ने प्रयास को असफल कर दिया।
चीनी सेना ने सोमवार शाम को भारतीय सेना के बयान का खंडन किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसके सैनिकों ने एलएसी पार नहीं की थी। मंगलवार को एक बार फिर हुआ चुनयिंग ने इस दावे को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारतीय पत्र का बयान चीनी पक्षों से अलग हो सकता है, लेकिन केवल एक सच्चाई और तथ्य है।
उन्होंने कहा कि नए चीन की स्थापना के 70 साल बाद, चीन ने कभी किसी युद्घ या संघर्ष को उकसाया नहीं और कभी भी दूसरे देश के क्षेत्र में एक इंच भी कब्जा नहीं किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन सैनिकों ने हमेशा एलएसी का कड़ाई से पालन किया और लाइन को कभी पार नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि संचार के शायद कुछ मुद्दे हैं। मुझे लगता है कि दोनों को पक्षों को तथ्यों के साथ चलना चाहिए और सभी द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने चाहिए और सीमा पर शांति के लिए ठोस उपाय करना चाहिए।
इस दौरान हुआ ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारतीय सैन्य बलों की तैनाती का भी उल्लेख किया है। उन्होंने कहा है कि भारत में सीमा पर सैन्य वृद्घि के बारे में कई मीडिया रिपोर्टें आई हैं। मुझे लगता है कि दोनों देशों के लोग एक साथ शांति से रहना चाहते हैं और ऐसी भारतीय मीडिया रिपोर्ट लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि पिछले कुछ समय में चीन और भारत के बीच बहु-स्तरीय वार्ता हुई और सीमा पर मतभेजों को शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए प्रयास किए हैं।

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