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कांग्रेस को कर्नाटक के नतीजों से गहलोत-पायलट जंग में सुलह का रास्ता निकलने की उम्मीद, नए सिरे से शुरू होगी पहल

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नई दिल्ली: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुली सियासी जंग में उतर चुके सचिन पायलट के इस बार आर-पार के तेवरों से परेशान कांग्रेस नेतृत्व सुलह का रास्ता निकालने की एक और कोशिश करेगा। पार्टी की ओर से संकेत दिए गए हैं कि कांग्रेस हाईकमान कर्नाटक चुनाव के शनिवार को आने वाले नतीजों के बाद गहलोत और पायलट के बीच समाधान का फार्मूला निकालने की नए सिरे से पहल शुरू होगी।
इसमें कर्नाटक फार्मूले का उदाहरण देते हुए राजस्थान के दोनों पार्टी दिग्गजों को आपसी दुश्मनी को किनारे रख राजनीतिक वास्तविकता को स्वीकार करने के लिए समझाने का प्रयास भी होगा। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने गहलोत-पायलट के बीच चल रही ताजा खुली जंग को लेकर अनौपचारिक चर्चा में कहा कि बेशक सचिन पायलट का अपनी ही राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरना गैर जिम्मेदाराना है। इस कदम से पार्टी नेतृत्व भी असहज और नाखुश है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पायलट के प्रति रूख भी उतना ही गैर जरूरी है।
कांग्रेस के अंदरूनी गलियारों में यह माना जा रहा कि गहलोत भी कई मौकों पर पायलट को उकसाने और दूर धकेलने के प्रयास कर रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री को भलि-भांति यह मालूम हे कि हाईकमान राजस्थान में चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन जैसा कोई कदम नहीं उठाने वाला ओर उनकी कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। फिर भी पायलट को उकसाने की उनके कदमों से जाहिर है कि मुख्यमंत्री निजी दुश्मनी की हद तक जाकर मामले को जटिल बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान इसीलिए भी गहलोत के इस रवैये को अनुचित मान रहा है कि पायलट से चल रही तनातनी के बीच राजस्थान में उनके नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह के संशय को न केवल पहले ही खत्म कर दिया गया है बल्कि गहलोत सरकार की उपलब्धियों को भी कांग्रेस अपने प्लेटफार्म से बताने से गुरेज नहीं कर रही है। सीएम का यह रूख पार्टी के लिए चिंता का सबब इसलिए भी बन रहा है कि क्योंकि पायलट को उकसाने के उनके कदमों से सुलह के विकल्प लगातार कम होते जा रहे हैं। हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद है कि कर्नाटक के सकारात्मक नतीजों से गहलोत-पायलट के बीच सुलह का रास्ता निकालने का एक आखिरी मौका मिल सकता है।

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