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कांग्रेस के इतिहास की दुहाई देकर असंतुष्ट नेताओं से सिंघवी बोले – पहले पांच राज्यों के चुनाव में पार्टी को मजबूत करें

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नई दिल्ली,एजेंसी। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा शनिवार को जम्मू में बुलाए गए जी-23 नेताओं के सम्मेलन में कांग्रेस नेतृत्व के प्रति एक बार पुनरू असंतोष के स्वर उठे। वहीं दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कांफ्रेंस कर असंतोष को शांत करने का प्रयास किया।उन्होंने कांग्रेस की विरासत व इतिहास की दुहाई देकर कहा कि इन नेताओं का पार्टी में बहुत सम्माान है। अभी इन्हें पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मजबूत करने के अधिकाधिक प्रयास करना चाहिए।
बता दें जम्मू सम्मेलन में असंतुष्ट नेताओं ने पार्टी नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने व बगैर उनसे परामर्श के फैसले करने और किसी भी निर्णय पर पार्टी में आम सहमति नहीं बनाने को लेकर हमला बोला है। उनके इस बगावती तेवरों को सिंघवी ने ठंडा करने का प्रयास किया।
सिंघवी ने आगे कहा कि जम्मू सम्मेलन में शामिल प्रत्येक नेता का पार्टी में आदर है। हमें गर्व है कि ये नेता हमारी पार्टी में हैं। मुझे यकीन है कि इन नेताओं को भी कांग्रेस पार्टी के सदस्य होने का उतना ही गर्व होगा, इसलिए वे इस कांग्रेस परिवार के सदस्य हैं। मैं जो भी उनसे कह रहा हूं वह पूरे आदर के साथ कह रहा हूं। मैं कांग्रेस व इन नेताओं के बीच तीन-चार दशकों की परंपरागत विरासत का आदर करता हूं।
सिंघवी ने कहा कि जिस मुख्य व्यक्ति (गुलाम नबी आजाद), के सम्मान में यह जम्मू सम्मेलन आयोजित किया गया है, को लेकर श्इस्तेमालश् शब्द का उपयोग नहीं किया। आजाद ने भी कभी ऐसी शिकायत नहीं की।जो इस्तेमाल शब्द का उपयोग करते हैं , वे कुछ चीजों को भूल रहे हैं। उन्हें जानकारी का अभाव है। कांग्रेस के समकालीन इतिहास का ज्ञान नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हमें गर्व है कि आजाद ने सात से ज्यादा बार संसद में कांग्रेस का झंडा उठाया है। वे पांच बार राज्यसभा व दो बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। यह कार्यकाल मोटे तौर पर 40 साल का होता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री मनोनीत किया था।
इसके साथ ही सिंघवी ने कहा कि मैं विनम्रतापूर्वक कहता हूं कि कांग्रेस के लिए हमारा श्रेष्ठ योगदान आपसे में व्यस्त रहने में नहीं, बल्कि पांच राज्यों में पार्टी के रोज चलाए जा रहे अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने से होगा। सिंघवी ने कहा कि वह उन सवालों का जवाब नहीं देंगे, जो मामले को सनसनीखेज बनाएंगे और मूल मुद्दों को कमजोर करेंगे।
सिंघवी ने जहां वरिष्ठ नेताओं के प्रति नरम रुख अपनाया वहीं कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने आक्रामक रवैया अपनाया। उन्होंने सवाल किया कि क्या आनंद शर्मा व गुलाम नबी आजाद अपने गृह राज्यों से लगातार चुनाव जीत सकते हैं? ये नेता यूपी व तमिलनाडु जैसे राज्यों में कांग्रेस को मजबूत क्यों नहीं करते, जहां के वे प्रभारी हैं? इन नेताओं ने तब चुनाव की मांग क्यों नहीं की, जब वे सत्ता का मजा ले रहे थे? ये नेता चुनावी राज्यों में प्रचार अभियान में भाग क्यों नहीं ले रहे हैं?

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