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कोरोना की चौथी लहर आना तय, पर मौतों की आशंका कम, जनवरी में हो सकती है शुरू

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नई दिल्ली, एजेंसी। दुनिया में बढ़ते कोरोना संक्रमण और पिछले तीन सालों के ट्रेंड को देखें तो कोरोना की चौथी लहर आना तय माना जा रहा है। इसी खतरे को देखते हुए सरकार ने तैयारी भी शुरू कर दी है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की माने तो तीसरी लहर की तुलना में चौथी लहर और कमजोर होगी और अस्पतालों में भर्ती होने की ज्यादा जरूरत नहीं होगी। इसकी वजह से संक्रमितों के मौत की आशंका भी नहीं रहेगी। सरकार की कोशिश चौथी लहर का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को पूरी तरह से रोकने की है, ताकि विकास की मौजूदा रफ्तार को कायम रखा जा सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा पूर्वी एशियाई देशों से शुरू होने के बाद 20 से 35 दिनों के बीच भारत में कोरोना संक्रमण की लहर पहुंचने के अब तक ट्रेंड का हवाला देते हए इसके जनवरी में कभी शुरू होने का अनुमान लगा रहे हैं। बीएफ-7 के जुलाई से भारत में मौजूद्गी के बावजूद उसके केस नहीं बढ़ने के तर्क को खारिज करते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उसके आधार पर निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है। अभी भले ही इसका असर नहीं दिख रहा हो, लेकिन जनवरी में कभी संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। लेकिन वरिष्ठ अधिकारी ओमिक्रोन के ही एक वैरिएंट बीएफ-7 के कारण शुरू होने वाली लहर का भारत में ज्यादा असर पड़ने की आशंका को खारिज भी कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर ओमिक्रोन वैरिएंट के कारण आई थी और इस वैरिएंट ने सबसे अधिक तबाही अमेरिका में मचाई थी। पर भारत में इसका उतना असर नहीं हुआ। सामान्य इलाज से अधिकांश मरीज ठीक होते गए। इसका मूल कारण भारत में बनी वैक्सीन की कारगरता है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन वैरिएंट पर भारतीय वैक्सीन सबसे अधिक कारगर साबित हुई थी और ओमिक्रोन के किसी भी वैरिएंट पर कमोवेश उतनी ही कारगर साबित होगी। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार भारत में 97 फीसद को एक डोज, 90 फीसद को दूसरी डोज, 27 फीसद को सतर्कता डोज दिये जाने के बाद ओमिक्रोन के बीएफ-7 वैरिएंट के ज्यादा घातक होने की आशंका बहुत ही कम है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इससे आने वाली चौथी लहर के दौरान बुखार, बदन दर्द जैसे कोरोना के सामान्य लक्ष्य वाले मरीजों की संख्या बढ़ सकती है और सामान्य दवाई से आसानी से उनका इलाज हो सकता है। लेकिन वैक्सीन और पहले के संक्रमण के कारण बनी हाईब्रीड इम्युनिटी की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की कम जरूरत पड़ेगी। लेकिन सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है, इसीलिए सभी अस्पतालों में माक ड्रील के माध्यम से डाक्टरों, बिस्तरों, दवाइयों, वेंटिलेटर, आक्सीजन, सपोर्ट स्टाफ की उपलब्धता का खाका तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि चौथी लहर के दौरान संक्रमितों के इलाज के लिए यह पर्याप्त होगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार चौथी लहर के दौरान मास्क समेत किसी भी कोरोना प्रोटोकाल के अनिवार्य पालन पर जोर नहीं देगी। इस बार सिर्फ लोगों के बीच जागरूकता फैलाकर कोरोना से लड़ाई होगी। उन्होंने कहा किसी भी तरह की अनिवार्यता और प्रतिबंध से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती है, जिसका असर भारत की विकास की रफ्तार पर पड़ेगा। इसी वजह से कोरोना से प्रभावित देशों से हवाई यातायात को भी नियंत्रित करने की कोशिश नहीं हुई है। सिर्फ चीन, जापान, हांगकांग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर से आने वाले यात्रियों के लिए ही कोरोना टेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। अन्य देश से आने वाले यात्रियों में से दो फीसद का अनिवार्य टेस्टिंग किया जा रहा है। मंगलवार तक कुल 6000 यात्रियों की टेस्टिंग हो चुकी हैं, जिनमें 39 पोजेटिव पाए गए हैं।

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