कोबिड-19 के मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या: देश में गहरी मंदी आने का अंदेशा
नई दिल्ली, एजेन्सी। देश में लंबे समय से जारी लॉकडाउन के चलते चालू वित्त वर्ष में जहां भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका है वहीं लॉकडाउन में ढील के बाद कोविड-19 के मरीजों की बढ़ती संख्या से देश का आर्थिक परिदृश्य और गिरावट के जोखिम को दिखा रहा है। आईएचएस मार्किट ने शुक्रवार को कहा कि इस लंबे लॉकडाउन का असर देश के औद्योगिक उत्पादन और उपभोक्ता व्यय दोनों पर गहरा है।
आईएचएस मार्किट ने कहा कि वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में तीव्र गिरावट का अनुमान है, जिससे वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर गहरी मंदी का शिकार हो सकती है। कंपनी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर अपने आकलन में यह बात कही। भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है जो 30 जून तक रहेगा। हालांकि चार मई के बाद से लॉकडाउन के नियमों में सर्शत ढील दी गई है।
आईएचएच मार्किट ने कहा कि अन्य देशों की तुलना में लॉकडाउन नियमों में राहत देने के बाद कोविड-19 के मामलों में कमी देखी गई। लेकिन भारत में स्थिति इसके उलट है। ऐसे में लॉकडाउन नियमों का भविष्य बहुत ज्यादा अनिश्चित है और अर्थव्यवस्था के और नीचे जाने का जोखिम बढ़ा है। सर्वेक्षण कंपनी ने कहा कि भारत में कोरोना मामले बढ़ने की वजह शहरों में जनसंख्या घनत्व अधिक होना, देश की ज्यादा आबादी और कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली होना है।
आईएचएस मार्किट का कंपनियों के खरीद प्रबंधकों के बीच किया जाने वाला अप्रैल का सर्वेक्षण पीएमआई लॉकडाउन के पूरे असर को दर्शाता है, जिसमें कारोबारी गतिविधियां लगभग ढह जाने के संकेत मिलते हैं। कंपनी का एकीकृत उत्पादन सूचकांक अप्रैल में 7.2 अंक रहा जो सर्वेक्षण शुरू होने के साढ़े चौदह साल के इतिहास में सबसे निचला स्तर है। सर्वेक्षण दिखाता है कि कोविड-19 ने देश के विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। इससे कुल कारोबारी गतिविधियों में तीव्र गिरावट रही है।
लॉकडाउन के उल्लंघन पर यूपी के पूर्व मंत्री राजभर पर मुकदमा प्रयागराज, एजेन्सी। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहे और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और 65 अन्य लोगों के खिलाफ प्रयागराज में प्रतिबंधों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। अन्य नेताओं में जनअधिकार पार्टी के प्रमुख बाबू सिंह कुशवाहा, अपना दल प्रमुख कृष्णा पटेल, भारतीय उपकार पार्टी प्रमुख प्रेम चंद्र प्रजापति, भारतीय मानव समाज पार्टी के प्रमुख रामधनी बिंद और 60 अन्य शामिल थे। गुरुवार को पट्टी पुलिस स्टेशन में यहाकफ दर्ज की गई।
प्रयागराज रेंज के आईजी ने बताया कि के.पी. सिंह, राजभर और अन्य के खिलाफ धारा 188 और 269 के तहताकफ दर्ज की गई थी। रऌड पट्टी नरेंद्र सिंह ने अपनी प्राथमिकी में कहा कि जब पुलिस रमीपुर नयादा गांव के पास लॉकडाउन के आदेशों को बनाए रखने में व्यस्त थी, तो उन्होंने देखा कि राजभर, कुशवाहा और अन्य नेताओं ने अपने समर्थकों को पुलिस की पूर्व अनुमति के बिना इकट्ठा किया। वे धुई और गोविंदपुर गांवों में बैठकें कर रहे थे। बाद में, पुलिस अधिकारियों ने नेताओं और उनके समर्थकों को वापस भेज दिया और बैठकों को नहीं होने दिया गया।
बता दें कि ओम प्रकाश राजभर ने 2019 तक योगी सरकार को अपना समर्थन दिया था, लेकिन लोकसभा चुनावों से ऐन पहले बीजेपी और उनके रिश्तों में तल्खी आ गई। इसके बाद ओम प्रकाश राजभर को मंत्री पद गंवाना पड़ा। तभी से वह भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार के आलोचक हैं। गौरतलब है कि राजभर अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं, और मंत्री रहते हुए भी कई बार उन्होंने अपनी ही सरकार पर हमला बोला था।