देश-विदेश

तीन हजार गैर चिकित्सा शिक्षकों पर मंडरा रहा संकट

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

– एनएमसी की नई गाइडलाइन के तहत देश भर के मेडिकल कालेजों में गैर चिकित्सा एमएससी शिक्षकों के पद को कर दिया है काफी कम
नई दिल्ली, एजेंसी : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की नई गाइडलाइन के बाद करीब तीन हजार गैर चिकित्सा शिक्षकों पर संकट मंडराने लगा है। नई गाइडलाइन के तहत देश भर के मेडिकल कालेजों में गैर चिकित्सा एमएससी शिक्षकों के पद को काफी कम कर दिया गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नए नियम से मेडिकल कालेजों में चिकित्सा विज्ञान से पढ़ाई कर एमएससी या पीएचडी की डिग्री हासिल कर वैज्ञानिक शिक्षक के तौर पर अध्यापन करने वालों पर गाज गिरने वाली है। दरअसल, ऐसे वैज्ञानिक शिक्षकों के प्रतिशत को मेडिकल कालेजों में कम करने का फैसला लिया गया है। मेडिकल कालेज संकायों में इनकी संख्या 30 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत तक करने की व्यवस्था की गई है।
ज्ञात हो कि वर्तमान में देशभर में मेडिकल कॉलेजों में चार हजार से अधिक ‘गैर मेडकिल’ शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से कई नए आरएमसी गाइडलाइन से प्रभावित होंगे। इस बीच राष्ट्रीय एमएससी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एनएमएमटीए) ने इन नियमों को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है।
दरअसल, मेडिकल एमएससी का पुराना कोर्स पूरा करने के बाद जो वैज्ञानिक मेडिकल कालेज में पढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए भी अवसर हैं लेकिन अब इन पर नई गाइडलाइन नकेल कस रही है। जबकि मेडिकल एमएससी या पीएचडी करने के बाद नेट की परीक्षा में भी ऐसा कोई विषय नहीं मिलता है। एनएमएमटीए ने इस मामले को शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने भी उठाया है। दरअसल एनएमएमटीए की ओर से सुधार की मांग उठाते हुए कहा था कि हाल में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मेडिकल कालेज में गैर चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिक शिक्षकों के प्रतिशत को कम कर दिया है।

बाक्स
एनएमएमटीए ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा पत्र
गाइडलाइन को रद करने की मांग करते हुए एनएमएमटीए ने मंत्रालय को सौंपे गए एक पत्र में कहा कि गाइडलाइन की वापसी संस्थानों में संकाय संकट को दूर करेगा और शिक्षकों की मदद करेगा। अक्टूबर 2020 में चिकित्सा शिक्षा नियामक द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार, गैर-चिकित्सा संकाय में अनुमेय शरीर रचना विज्ञान और शरीर विज्ञान में 30 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत, जैव रसायन में 50 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पद हो जाएंगे। वहीं एनएमसी ने दावा किया है कि ये गाइडलाइन पहले से ही रोजगार में मौजूदा संकायों को प्रभावित नहीं करेंगे और एमबीबीएस सीट बढ़ाने की मांग करने वाले नए मेडिकल कॉलेजों, नई नियुक्तियों और कालेजों पर लागू होंगे।
एसोसिएशन की तरफ से अध्यक्ष श्रीधर राव और महासचिव अर्जुन मैत्र ने नीति आयोग और स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात कर समाधान का रास्ता निकालने की मांग की। वहीं, मंत्रालय की ओर से इस मामले को देखने का आश्वासन भी दिया गया है।
डॉ. राव ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में एमडी कोर्स की तर्ज पर चलाए जा रहे मेडिकल एमएससी कोर्स में सुधार की जरूरत है। एमसीआई ने चुपचाप कोर्स पर लगने वाले विनियमन को हटा दिया है। अब यह कोर्स निजी हेल्थ यूनिवर्सिटी के जरिए संचालित हो रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!