रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्घ ने सैन्य आवश्यकताओं में आत्मनिर्भर होने की जरूरत पर प्रकाश डाला
नई दिल्ली,एजेंसी। चार दिवसीय नौसेना कमांडरों का सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्घ ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सैन्य हार्डवेयर में आत्मनिर्भर होना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। यहां तक घ्घ्कि रक्षामंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के तालमेल का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि भविष्य के किसी भी युद्घ में संचालन में एक दूसरे सशस्घ्त्र बल की मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका होगी और सैन्य कमानों का पुनर्गठन और थिएटर कमांड की स्थापना ही आगे का रास्ता है। उन्होंने कमांडरों से कहा कि मुझे पता है कि समुद्री थिएटर कमान पर अध्ययन की दिशा में पर्याप्त प्रगति हुई है। योजना के अनुसार, प्रत्येक थिएटर कमांड में थल सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक परिचालन कमांडर के तहत एक निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की देखभाल करने वाली एक इकाई के रूप में काम करेंगी।
सिंह ने कहा कि दुनिया में मौजूदा सुरक्षा माहौल की बात करें तो रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्घ ने एक बार फिर इस बात को उजागर किया कि निर्भरता के बिना आत्मनिर्भर होना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार भारत को रक्षा निर्माण का हब बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत विक्रांत की डिलीवरी एक और मील का पत्थर घटना होगी। यह जहाज पहले ही तीन समुद्री परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है।
उन्होंने कहा कि हमारी आजादी के 75वें वर्ष में जहाज की डिलीवरी और कमीशनिंग के लिए हर संभव प्रयास किए जाने की जरूरत है। यह श्आजादी का अमृत महोत्सवश् के लिए एक उपयुक्त श्रद्घांजलि होगी। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि 41 में से 39 जहाज और पनडुब्बियां, जो आर्डर पर हैं, वे भारतीय शिपयार्ड में बनाई जा रही हैं। भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण में सबसे आगे रही है। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अब तक प्राप्त गति का लाभ उठाएं। मैं वरिष्ठ नेतृत्व से हमारे आर्थिक हितों के साथ मिलकर भविष्य की क्षमता विकास पर अपना ध्यान बनाए रखने का आग्रह करता हूं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश की समुद्री शक्ति बढ़ती रहे।
अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने दोहराया कि भारत की संप्रभुता और समृद्घि सशस्त्र बलों पर निर्भर है। इसलिए एक मजबूत और विश्वसनीय भारतीय नौसेना की आवश्यकता पर अधिक जोर नहीं दिया जा सकता है। मैं नौसेना के निरंतर विकास और आवंटित बजट का बेहतर उपयोग करने में नौसेना के निरंतर प्रदर्शन के लिए दीर्घकालिक वित्त पोषण के महत्व से अवगत हूं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना ने पिछले कुछ वर्षों में संचालन की उच्च गति बनाए रखी है। मिशन आधारित तैनाती के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में एक विश्वसनीय और उत्तरदायी उपस्थिति स्थापित की है। उन्होंने कहा कि इन तैनाती ने हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में भारतीय नौसेना की स्थिति की पुष्टि की है।
रक्षा मंत्री ने नौसेना को उसके व्यावसायिकता और समर्पण के लिए बधाई दी, जिसके साथ वे भारत के समुद्री हितों की रक्षा के कर्तव्य का पालन करना जारी रखते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि भारत के समुद्री चरित्र और इसकी महत्वपूर्ण भू सामरिक स्थिति ने एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास और एक सभ्यता के रूप में विकास में प्राथमिक भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विकास और दुनिया के साथ जुड़ाव के लिए समुद्र पर बढ़ती निर्भरता के साथ भारतीय नौसेना भारत के समुद्री हितों की रक्षा करना जारी रखे हुए है और इस क्षेत्र में एक सुरक्षित वातावरण को सक्षम बनाती है। चार दिवसीय नौसेना कमांडरों का सम्मेलन सोमवार से शुरू हो गया है। नौसेना कमांडरों ने देश की समुद्री सुरक्षा तैयारियों के साथ-साथ अन्य मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए यूक्रेन संकट के संभावित प्रभावों की व्यापक समीक्षा की।