उत्तराखंड

गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने वाले प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग

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रुद्रप्रयाग। भगवान केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने वाले प्रकरण में केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में सात सदस्यीय दल ने मंदिर के गर्भ गृह का निरीक्षण किया और वापस लौटने के बाद बीकेटीसी और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कहा कि सभी लोग इस घटनाक्रम से चिंतित हैं और गहराई से स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। केदारनाथ से लौटने के बाद पूर्व विधायक ने रुद्रप्रयाग स्थित ज्वाल्पा पैलेस में प्रेस वार्ता कर इस सम्पूर्ण मामले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बाबा केदार पर बहुत आस्था है। उन्होंने ही 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ यात्रा को यात्रा योग्य बनाया और केदारनाथ पुरी का पुर्ननिर्माण किया। इसलिए उनके निर्देशों पर स्वयं मेरे नेतृत्व में जिपंस कुलदीप कण्डारी, गणेश तिवारी, विनोद राणा, पूर्व प्रमुख कर्णप्रयाग कमल सिंह रावत, वरिष्ठ तीर्थपुरोहित पुरुषोत्तम तिवारी, बीकेटीसी के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत को स्थानीय हक-हकूकधारियों, तीर्थ पुरोहितों व विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संगठनो व प्रबुद्घ लोगों से मिलकर केदारनाथ जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के लिए कहा गया। कहा कि गर्भ गृह में कथित सोना रंगत खो रहा है। हमने भी स्वयं जाकर देखा है कि केदार ज्योर्तिलिंग के साथ लगी झलेरी में वह चांदी के रंग में बदल रहा है। झलेरी के बाहर लगी प्लेटें जिनके ऊपर अब प्लास्टिक की शीट लगा दी गई है वह जिन स्थानों पर कम घिसी है वहां पीतल के रंग की है और जिन स्थानों पर अधिक घिस गई है उन स्थानों पर तांबे के रंग की हो गई है। दीवारों पर भी खुरचने पर कथित रूप से लगी सोने की प्लेटों से सोना खुरच कर झड़ रहा है कई स्थानों पर वह झड़ चुका है। कथित रूप से लगी सोने की प्लेटों को जोड़ने का काम बहुत ही निम्न स्तरीय है और डिजाइन में कहीं भी मेल नहीं खा रहा है। कहा कि केदारसभा का कहना था कि, सोने की मात्रा का संदेह मंदिर समिति के कार्यकलापों से ही उठा है। यदि मंदिर समिति लगाते समय ही लगाई जाने वाली धातु और उसे लगाए जाने की पद्घति को सार्वजनिक रूप से बता देती तो आम-जनों में कोई शंका नहीं रहती।
केदार सभा के पदाधिकारियों का कहना था कि श्री केदारनाथ उनके सब कुछ हैं। उनके अराध्य देव हैं उनके ईष्ट हैं, इसलिए वहां हो रही किसी भी घटना की सत्यता जानना और उसे सार्वजनिक करना उनका पहला कर्तव्य है। इसलिए सोने की मात्रा और उसकी गुणवत्ता जो देखने में संदेहास्पद लगती है तथा प्लेटों पर सोने की पालिश करने की घटना से वे बहुत ही आक्रोशित थे और केदार सभा के उपाध्यक्ष का बयान जारी करना उसी आक्रोश का प्रतीक था तीर्थ पुरोहितों ने संतोष त्रिवेदी के बयान का समर्थन किया। केदार घाटी के विभिन्न संगठन और प्रबुद्घजनों का मानना था कि अभी भी इस घटना के संबंध में दो प्रेस नोट श्री बदरीनाथ-केदारनाथ समिति ने जारी किए हैं। समिति के अध्यक्ष जी के प्रेस में दिए गए बयान भी सामने आए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि केदार सभा में सभी दलों के लोग पदाधिकारी हैं इसलिए अध्यक्ष द्वारा इस विरोध को किसी दल विषेश का विरोध कहना उनकी हताषा को दिखाता है। सभी का मानना है कि बीकेटीसी अध्यक्ष के स्थान पर पूरी समिति सामने आकर कथित रुप से स्वर्ण मंडित करने के प्रस्ताव से लेकर उस पर मंदिर समिति का निर्णय, सोने की मात्रा, उसकी सत्यता, शुद्घता, उसे मंडित करने का तरीके तथा इस कार्य को विभिन्न स्तर पर किन-किन अधिकारियों व कर्मचारियों की निगरानी में किया गया। इन विभिन्न तथ्यों को समिति के अभिलेखों के साथ सार्वजनिक करना चाहिए। साथ ही इस मामले में कोई भी जांच भी संदेह से परे होनी चाहिए। इसलिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा गठित जांच समिति से स्थान पर राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच होनी चाहिए। जिसमें उच्च न्यायालय के सिंटिग जज की निगरानी में बनी उच्च स्तरीय समिति जिसमें देश में धातुओं पर काम कर रहे सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त संस्थान (जैसे एमएमटीसी) के वैज्ञानिक विषेशज्ञों के साथ देश में सोने का काम कर रहे प्रतिष्ठित व्यवसायिक संस्थानों के सदस्यों, स्थानीय हक-हकूकधारियों की सदस्यता वाली समिति द्वारा जांच का भी विकल्प सुझाया गया। सभी का मानना है कि इस मामले में दूध का दूध-पानी का पानी करने वाली जांच होनी चाहिए।

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