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नेतन्याहू सरकार के लाए न्यायिक सुधार विधेयक पर मतदान से पहले देश में प्रदर्शन, लाखों लोग सड़क पर उतरे

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तेल अवीव , एजेंसी। इस्राइल के न्यायिक सुधार विधेयक पर मतदान होने से पहले ही देशभर में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया है। तेल अवीव सहित अन्य शहरों में प्रदर्शन किए गए। लोकल मीडिया के मुताबिक, हजारों लोग अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि न्यायिक सुधार कानून न्यायिक प्रणाली को खत्म करने की सरकार की योजना है।
इस्राइल में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इनमें से एक लाख 40 हजार लोग अकेल तेल अवीव में प्रदर्शन कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में पहली बार लोग बाहर आए हैं। यह विरोध ऐसे समय में हुआ है, जब सोमवार को नेतन्याहू सरकार की न्यायिक सुधार नीति के तहत कोर्ट की शक्तियां काफी कम करने वाले विधेयक को राष्ट्रीय विधायिका नेसेट में पढ़ा जाना है।
केंद्र, वामपंथी और यहां तक कि दक्षिणपंथी नागरिकों, सैन्य रिजर्व और राजनीतिक दलों द्वारा छह महीने से कड़ा विरोध जताया जा रहा है। विरोध को देखते हुए इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने न्यायिक सुधार को पारित करने के अपने प्रयासों को नवीनीकृत किया है।
जून के अंत में, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अपनी सरकार के प्रस्तावित न्यायिक सुधार के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक नेसेट को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने की अनुमति देने वाला प्रावधान हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अलावा नेसेट की शक्ति पर इस्राइल का कोई नियंत्रण नहीं है।
नीरज कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि विकास के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में सैकड़ों मंदिर तोड़े गए। भाजपा के किसी सांसद-विधायक ने बाबा गरीबनाथ और बाबा हरिहरनाथ के विकास पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया। इसके साथ ही दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रहते कानून का राज और विकास के एजेंडा से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता।

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