देवस्थानम ऐक्ट के खिलाफ सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
नैनीताल। हाईकोर्ट में चारधाम देवस्थानम ऐक्ट को चुनौती देने वाली सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की जनहित पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और आरसी खुल्बे की खण्डपीठ मामले पर बीती 29 जून से लगातार सुनवाई कर रही थी। सांसद स्वामी ने जनहित याचिका के जरिए राज्य सरकार के देवस्थानम ऐक्ट को असंवैधानिक बताते हुए संविधान के अनुछेद 25, 26 और 32 के विरुद्ध बताया है। जनभावनाओं के विरुद्ध लाए गए ऐक्ट में मुख्यमंत्री भी शामिल किए गए हैं, जबकि मुख्यमंत्री का काम सरकार चलाना है। वे जनप्रतिनिधि है, उन्हें समिति में रखने का औचित्य नहीं है। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या यह ऐक्ट असंवैधानिक है। जवाब में अपने सरकार ने जवाब कहा था कि ऐक्ट बिल्कुल असंवैधानिक नहीं है। ऐक्ट से न संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 32 का उल्लंघन नहीं हुआ है। सरकार ने ऐक्ट पारदर्शिता से बनाया है। इसके जरिए मंदिर में चढ़ावे का पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा है, इसलिए यह याचिका निराधार है, इसे निरस्त किया जाय। रूलक ने ऐक्ट के समर्थन में लगाई थी अर्जी दून की संस्था रूलक की ओर से भी हाईकोर्ट में अर्जी लगाकर सरकार के पक्ष में दलील दी गई। संस्था के अधिवक्ता ने मनुस्मृति का हवाला देकर कहा था कि राजा खुद सर्वोपरि है। वह अपना दायित्व किसी को भी सौंप सकता है। संस्था ने एटकिंशन गजेटियर, मदन मोहन मालवीय की लोगों से की गई अपील, सेक्युलर मैनेजमेंट और रिलिजेस एक्ट 1939 के अलावा अयोध्या मामले के निर्णय को भी कोर्ट में पेश किया। करीब एक हफ्ते से लगातार चल रही सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई। मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया