डीएफओ दीपक सिंह ने अपने ही मंत्री हरक सिंह पर फोड़ा आरोपों का बम
-पत्र लिख दिया जवाब, कहा-अवैध खनन समेत अन्य कई दबाव थे, सरकार में हड़कंप
-मंत्री हरक ने कहा था, अवैध खनन में लिप्त थे डीएफओ दीपक सिंह
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कोटद्वार विधायक और काबीना मंत्री हरक सिंह रावत की ओर से लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह पर अवैध खनन में लिप्त बता कर मुख्यालय अटैच करने की कार्रवाई का जवाब देते हुए डीएफओ दीपक सिंह ने वन मंत्री हरक सिंह पर ही खनन, राजनीतिक दबाव आदि मसलों को लेकर आरोपों का बम फोड़ दिया है। शासन व सत्ता के गलियारों में डीएफओ दीपक सिंह के इस पत्र को लेकर हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। उधर, काबीना मंत्री हरक सिंह का कहना है कि अवैध खनन में लिप्त होने के कारण डीएफओ दीपक सिंह को हटाया गया है। उनके अनुसार मामले की जांच चल रही है।
बता दें कि कुछ दिन पहले लैंसडौन वन प्रभाग में अवैध खनन संबंधी शिकायत मिलने पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने डीएफओ दीपक सिंह को यहां से हटाते हुए मुख्यालय अटैच कर दिया था। मंत्री की इस कार्रवाई के बाद डीएफओ दीपक सिंह ने एक पत्र लिखा है, जिसमें मंत्री पर कई आरोप लगाए गए हैं। साथ ही दीपक सिंह ने स्वयं को हटाने संबंधी कार्रवाई को गलत बताया है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में भाजपा के राज में अवैध खनन के तार ऊपर तक जुड़े होने की सुगबुगाहट से राजनीति का बाजार गर्म हो गया है। गौरतलब है कि इससे पहले मुख्यमंत्री के पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट के खनन में जुटे वाहनों के चालान निरस्त करने पर राजनीतिक बवाल मचा था।
लैंसडौन वन प्रभाग में पांच साल में बदले पांच डीएफओ
डीएफओ दीपक सिंह ने अवैध खनन के खिलाफ की गई कार्रवाई का भी सात दिसंबर के पत्र में पूरा लेखा जोखा दिया है। दीपक सिंह का कहना है कि लैंसडौन वन प्रभाग में पिछले पांच सालों में पांच डीएफओ बदले गए।
नहीं आए राजनीतिक दबाव में तो इस तरह लिया बदला
डीएफओ दीपक सिंह ने कैम्पा की धनराशि, बैम्बू हट, लालढांग-चिल्लरखाल समेत अन्य योजनाओं पर गड़बड़ी की बात उठाते कहा कि वह इन मामलों में राजनीतिक दबाव में नहीं आए। लिहाजा, उन्हें हटाए जाने के पीछे अवैध खनन रोक नहीं पाने की खबरें प्रकाशित करवाई गईं। इससे उनका मनोबल गिरा है। जबकि मुख्य वन संरक्षक पौड़ी की जांच रिपोर्ट में उनके द्वारा कोई भी शिथिलता नहीं बरते जाने के प्रमाण मिले हैं। इसके अलावा पत्र में कई अन्य आरोप लगाए हैं।
मंत्री का विधानसभा क्षेत्र होने के कारण मिलती थी धमकियां
प्रमुख वन संरक्षक को लिखे पत्र में डीएफओ दीपक सिंह ने कहा कि लैंसडौन वन प्रभाग अतिसंवेदनशील वन प्रभाग है और वर्तमान में वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जिससे उन पर काफी राजनीतिक दबाव बनाया गया और उन्हें धमकियों और निराधार आरोपों का सामना करना पड़ा।
लालढांग-चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग में अनियमितता पर कार्रवाई पड़ी भारी
डीएफओ दीपक सिंह ने कहा कि कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में लालढांग-चिल्लरखाल वन मोटर में अनियमितता पाई गई। जिसका संज्ञान लेते हुए कार्य को रोक दिया गया, संबंधित आरक्षी व वन दरोगा को मुख्यालय अटैच किया गया। साथ ही रेंज अधिकारी से अनियमितता पर स्पष्टीकरण मांगा गया। जब रेंज अधिकारी ने स्पष्टीकरण नहीं दिया तो उन्हें संबंधित कार्य से हटा दिया गया। डीएफओ दीपक सिंह ने कहा कि उक्त कार्रवाई को वापस लेने के लिए उन पर राजनीतिक दबाव बनाते हुए धमकी दी गई और जब वह नहीं माने तो बेवजह उन्हेंमुख्यालय अटैच कर दिया गया।
कैम्पा योजना की 251.31 लाख की धनराशि भुगतान न करना भी बना गाज का कारण
डीएफओ दीपक सिंह ने कहा कि कैम्पा योजना के अन्तर्गत रीवर रेजुवेशन से सम्बन्धित 251.31 लाख की धनराशि जो वर्तमान में वन जमा/ निक्षेप व्यय (डी०सी०एल०) में जमा है, को भुगतान के लिए राजनीतिक दबाव बनाया गया। हालांकि इसके बाद भी डीएफओ ने वित्तीय नियमों को ध्यान में रखते हुए व्यय नहीं किया। इसके अलावा राजनीतिक लोगों को अवैध खनन से रोका गया और उनके ट्रैक्टर ट्रॉलियों को सीज किया गया। उन्होंने कहा कि यह सभी कार्य राज नेताओं को पसंद नहीं आए। जिस कारण पर एक पक्षीय कार्रवाई की गई।
अपने चहीतों को नियम विरुद्ध करा थे वन विभाग में भर्ती
डीएफओ दीपक सिंह ने पत्र में आरोप लगाया है कि अपने चहीतों को उपनल के माध्यम से लैंसडौन वन प्रभाग में सम्मिलित करने के लिए राजनीतिक दबाव बनाया गया। जब उन्होंने नियम विरुद्ध भर्ती करने से मना कर दिया तो राज नेताओं ने उन्हें धमकियां भी दीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सनेह पार्क एवं कॉर्बेट रिसेप्शन सेन्टर के समीप बैम्बू हट एवं पार्क में नियम विरुद्ध कार्य किए जा रहे थे। जिन पर कार्रवाई करनी चाही तो उन पर राजनीतिक दबाव बनाया गया। इसके बावजूद उन्होंने उक्त कार्य को रुकवाया।