उत्तराखंड

आपदा से जूझ रहा कपकोट क्षेत्र

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बागेश्वर। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने कहा कि कपकोट आपदा से जूझ रहा है। मकान ध्वस्त हो रहे हैं। सड़कें बंद हैं, पेयजल, बिजली, संचार सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। प्रभावितों को मुआवजा तक नहीं मिल रहा है। पिंडर घाटी में नौ बेली ब्रिज झुक गए हैं। उनकी देखरेख नहीं हो रही है। इससे कभी भी बड़ी आपदा आ सकती है। सोमवार को टीआरसी परिसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में ऐठानी ने कहा कि जिला प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा आए और बैठक से प्रभावितों को मरहम लगा गए। उन्होंने आपदाग्रस्त क्षेत्रों का रुख तक नहीं किया। बैठक में विपक्षियों को बुलाया तक नहीं गया। जबकि भाजपा के पन्ना प्रमुख तक बुलाए गए। कहा कि यह बैठक आगामी चुनाव के लिए बूथ प्रबंधन था। कहा कि कपकोट के विधायक सुरेश गढ़िया स्वयं मान रहे हैं कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं। ऐठानी ने कहा कि सकन्यूड़ा गांव में चार मकान ध्वस्त हुए। दो प्रभावितों को मदद राशि मिली। अन्य दो पीड़ित इंतजार कर रहे हैं। ऐसे ही कई और प्रभावित भी हैं, जो रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं। आपदा से सड़कों पर मलबा भरा हुआ है। बोल्डर गिर रहे हैं। लोगों की जान जोखिम में है। बदियाकोट, उंगिया, ओलियागांव, सिमकुना, कर्मी, रिखाड़ी गांव आपदा से जूझ रहे हैं। समय रहते ठोस उपाय नहीं हुए तो बड़ी घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कहा कि 2014 में बेली ब्रिज बने थे। कर्मी में दो, वाछम में एक, बदियाकोट में दो, रिखाड़ी से चौड़ा तक चार बने ब्रिज हैं। ये ब्रिज झूलने लगे हैं। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कपकोट में तीन एंबुलेंस हैं। किसी भी वाहन में स्थायी चालक नहीं हैं। रिठकुला में पेयजल लाइन के लिए सड़क खोद दी गई है। धरमघर-माजखेत सड़क पर हर मोड़ पर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सितंबर में वह केदारेश्वर मैदान कपकोट में हवन-यज्ञ करेंगे और आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा। इस दौरान नगर पंचायत अध्यक्ष कपकोट गोविंद बिष्ट, पूर्व दर्जा मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, दीपक गढ़िया आदि उपस्थित थे।

 

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