बिग ब्रेकिंग

विस के बर्खास्त कर्मचारियों को हाईकोर्ट से झटका

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

डबल बेंच ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही माना
एकल बेंच के फैसले को किया निरस्त, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे अब कर्मचारी
उत्तराखंड विधानसभा एवं सचिवालय मैं बैक डोर से तदर्थ नियुक्तियां पाने वाले कर्मचारियों को भले ही एक बार अदालत से नौकरी पर वापस आने की राहत मिली थी लेकिन हाई कोर्ट की डबल बेंच ने उक्त कर्मचारियों के मामले में विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी के फैसले को सही मानते हुए एकल पीठ के गुरु आदेश को निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट की डबल बेंच के इस आदेश के साथ ही इन कर्मचारियों को अब घर बैठना होगा।
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में हुई बिना परीक्षाओं की भर्ती के मामले में उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने झटका दे दिया है। हाईकोर्ट ने बीते अक्टूबर माह के आदेश को निरस्त करते हुए विधान सभा सचिवालय के कर्मचारियों को बर्खास्त करने के निर्णय को सही ठहराया है। गुरुवार को उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने विधानसभा के 228 बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा की ओर से दायर विशेष अपील पर सुनवाई करने के बाद एकलपीठ द्वारा दिये गए अक्टूबर माह के आदेश को निरस्त कर दिया है। डबल बैच ने विधान सभा सचिवालय के निर्देश को सही ठहराया है। खंडपीठ ने कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को रोका नहीं जा सकता है।
गौरतलब है कि विधानसभा सचिवालय की ओर से एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया था कि बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की नियुक्ति काम चलाऊ व्यवस्था के तहत की गई थी। शर्तों के अनुसार उनकी सेवाएं कभी भी बिना नोटिस व बिना कारण के समाप्त की जा सकती हैं। साथ ही उनकी नियुक्तियां विधानसभा सेवा नियमावली के विरुद्घ की गई है। ज्ञात हो कि तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति की रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई थी।
वही बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से कहा गया था कि उनको बर्खास्त करते समय अध्यक्ष ने संविधान के अनुच्टेद 14 का उल्लंघन किया है। अध्यक्ष ने 2016 से 2021 तक के कर्मचारियों को ही बर्खास्त किया है, जबकि ऐसी ही नियुक्ति विधान सभा सचिवालय में 2000 से 2015 के बीच भी हुई हैं, जिनको नियमित भी किया जा चुका है। यह नियम सब पर एक समान लागू होना चाहिए था। उन्हें ही बर्खास्त क्यों किया गया।
बैक डोर से हुई इन भर्तियों का मामला तब सामने आया था जब उत्तराखंड में यूके एसएससी की भर्तियों में नकल घोटाले का खुलासा हुआ था। इस घोटाले की चपेट में विधानसभा एवं सचिवालय में नेताओं व नौकरशाहों द्वारा अपने चहेतों को बेलदौर से नौकरी लगाने का मामला भी काफी चर्चाओं में रहा जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रितू भूषण खंडूड़ी ने सख्त रवैया अपनाते हुए इन 228 कर्मचारियों को हटा दिया था। बर्खास्त कर्मचारी विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ न्यायालय की शरण में गए जहां कर्मचारियों के हित में फैसला आया और सभी को पूर्व की भांति नौकरी में वापस लेने के आदेश दिए गए।
सिंगल बेंच के निर्णय के खिलाफ सरकार ने इस मामले को डबल बेंच में दाखिल किया। आज डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को खंडपीठ ने रोक लगाते हुए विधानसभा अध्यक्ष का आदेश को सही मानते हुए बर्खास्त कर्मचारियों की आशाओं पर पानी फेर दिया। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!