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त्याग, वीरता व बलिदान की प्रतिमूर्ति थे आपातकाल के शहीद नरेंद्र उनियाल

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प्रख्यात पत्रकार, साहित्यकार एवं लोकतंत्र सेनानी स्व. नरेंद्र उनियाल को 73वीं जयंती दी श्रद्धांजलि
उत्तराखंड: दशा एवं दिशा लेखन प्रतियोगिता के अव्वल प्रतिभागियों को किया गया सम्मानित
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से प्रख्यात पत्रकार, साहित्यकार एवं लोकतंत्र सेनानी स्व. नरेंद्र उनियाल की 73वीं जयंती मनाई गई। जनसरोकार से जुड़े सैकड़ों व्यक्तियों ने नरेंद्र उनियाल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए समाज हित में दिए गए उनके योगदान को याद किया। इस दौरान नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से उत्तराखंड: दशा एवं दिशा विषय पर आयोजित लेखन प्रतियोगिता के तीन अव्वल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मौजूद जनों ने महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलने का भी संकल्प लिया।
मंगलवार को नजीबाबाद रोड़ स्थित महाराजा वैडिंग प्वाइंट में स्व. नरेंद्र उनियाल की 73वीं जयंती पर वरिष्ठ नागरिक संगठन के अध्यक्ष पीएल खंतवाल की अध्यक्षता में उत्तराखड: दशा और दिशा पर गोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार व साहत्यिकार योगेश पांथरी, डा. नंदकिशोर ढौंडियाल, नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष नागेंद्र उनियाल, ललन कुमार बुडाकोटी, पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष पूरण सिंह रावत, बुद्धिबल्लभ ध्यानी, भगवती प्रसाद कंडवाल के साथ ही जनसरोकार से जुड़े व्यक्तियों ने स्व. नरेंद्र उनियाल के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। योगेश पांथरी ने कहा कि स्व. नरेंद्र उनियाल समाज के स्तंभ थे। वह सदैव सामाजिक हितों को लेकर संघर्ष करते रहे। पहाड़ के बेहतर विकास की यात्रा में उनका एक मुख्य योगदान रहा है। आज हम उनके बलिदान व तपस्या को नमन करते हैं। उन्होंने युवाओं से भी महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलने की अपील की। उन्होंने कहा कि उत्तराखड: दशा और दिशा ऐसा विषय है कि यह हमेशा रहेगा और उस पर सतत प्रयास होते रहने चाहिये।
डा. नंदकिशोर ढौंडियाल ने कहा कि समक्ष साक्षी है कि उत्तराखंड के निर्भीक पत्रकार, लोकनायक, लेखनी के धनी और राष्ट्र भक्त नरेंद्र उनियाल को इस संसार से विदा हुए लगभग 43 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। लेकिन, वे यहां की जनता के मन और मस्तिष्क में अभी भी जीवित हैं। नरेंद्र को श्री से स्व. बनने की यात्रा मात्र उन्नतीस वर्ष की थी और इसी उन्नतीस वर्ष की जीवन यात्रा में वे इतने आदर्श स्थापित कर चुके थे, जितने आदर्श एक सामान्य व्यक्ति सौ वर्ष की आयु प्राप्त करके भी प्राप्त नहीं कर सकता। उन्होंने अपने सप्ताहिक समाचार पत्र धधकता पहाड़ के माध्यम से तत्कालीन भ्रष्टाचारियों की नाक में नकेल डाल दी थी। उनके प्रयासों से ही यह समाचार पत्र जनता की आवाज बन गया था। उनके द्वारा शुरू किया गया धधकता पहाड़ आज जयन्त के रूप में खड़ा है। लोक कलाकार अनुसूया प्रसाद डंगवाल ने कहा कि यह मेरा सौभग्य था कि मुझे नरेंद्र उनियाल के साथ रहने का मौका मिला। हम सदैव उनके विचारों को सुनते रहते थे। हालांकि, वह आयु में मुझसे छोटे थे लेकिन, मैं स्वयं उनके विचारों से प्रभावित रहता था। डंगवाल ने अपने हाथों से बनाए गई नरेंद्र उनियाल की पेंटिंग को उनके छोटे भाई एवं दैनिक जयन्त के संपादक नागेंद्र उनियाल को सौंपी। कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि महान क्रांतिकारी का चित्र बनाने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ है। ललन किशोर बुड़ाकोटी ने कहा कि आज हमें पहाड़ को बचाने के लिए स्व. नरेंद्र उनियाल के विचारों पर चलने की आवश्यकता है। पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष पूरण सिंह रावत ने कहा कि एक बेहतर सोच ही बेहतर समाज का विकास कर सकती है। स्व. नरेंद्र उनियाल आज के समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
अंत में नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष व जयन्त समाचार पत्र के संपादक नागेंद्र उनियाल ने समस्त जनों का धन्यावाद किया। कहा कि समाज को बेहतर मार्ग पर ले जाने के लिए संभ्रांत जनों को आगे आना होगा। हम एकजुट होकर ही समाज के ज्वलंत मुद्दों को बेहतर तरीके से उठा सकते हैं। इस मौके पर हयात सिंह गुसाईं, विकास कुमार आर्य, राजेंद्र सिंह बिष्ट, पीसी घिल्डियाल, अनुसूया प्रसाद डंगवाल, जेपी बहुखण्डी, सुभाष चंद्र नौटियाल, जगमोहन डांगी, अनुसूया प्रसाद घायल, आशाराम पोखरियाल, गणेश काला, गजेंद्र धस्माना, चंद्रप्रकाश नैथानी, विजय लखेड़ा आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के मंच का संचालन शिक्षक शशि भूषण अमोली ने किया।

उत्तराखंड की स्थिति पर रखे विचार
कार्यक्रम में वक्ताओं ने उत्तराखंड की स्थिति पर भी अपने विचार व्यक्त किए। डा. शक्तिशैल कपरवाण ने कहा कि राज्य गठन के बाद भी आज उत्तराखंड मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। आज पहाड़ भू-कानून व मूल निवास की आवाज भी बुलंद कर रहा है। लेकिन, सरकार सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में अब जनता को एकजुट होकर अपने हितों के लिए संघर्ष करना होगा।

मुजीब नैथानी ने कहा कि हमें अपनी बोली-भाषा व संस्कृति को बचाने के लिए भी गंभीरता से ध्यान देना होगा। किसी भी राज्य की पहचान उसकी बोली भाषा व संस्कृति ही है। सुभाष नौटियाल ने कहा कि आज उत्तराखंड़ियों की आवाज को दबाया जा रहा है। पत्रकार से लेकर समाज सेवियों का शोषण किया जा रहा है। जगमोहन डांगी ने कहा कि पहाड़ से हो रहा पलायन एक चिंता का विषय है। सरकार पहाड़ियों को केवल वोट-बैक ही समझ रही है। पहाड़ में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। नेता चुनाव जीतने के बाद पहाड़ से पलायन कर देते हैं।

प्रतियोगिता के यह रहे अव्वल
कार्यक्रम में उत्तराखंड: दशा एवं दिशा लेखन प्रतियोगिता के अव्वल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। अव्वल तीन प्रतिभागियों को 25000, 15000 व 10 हजार की धनराशि, प्रशस्ति पत्र व स्व. नरेंद्र उनियाल की जीवनी पर लिखी पुस्तक भेंट की गई। सम्मान पाने वालों में पूर्व प्रधानाचार्य चित्रमणि देवलियाल, युवा पत्रकार रोहित लखेड़ा व महाविद्यालय की छात्रा दीपाली खाती रहे। इस दौरान विजेता प्रतिभागियों ने मंच पर अपने विचार भी व्यक्त किए। चित्रमणि देवलियाल ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन के दौरान हमने पहाड़ के संघर्ष को महसूस किया है। जिससे, सेवा निवृत्ति के बाद हमें लिखने का अवसर मिला और इस तरह की प्रतियोगिता से हमें अपने विचार रखने का बेहतर मंच उपलब्ध हुआ है। रोहित लखेड़ा ने कहा कि राज्य गठन के दशकों बाद भी उत्तराखंड मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार के अभाव में लगातार पलायन का दौर जारी है। वर्तमान में जंगली जनवर भी पहाड़ियों के लिए एक चुनौती बन गए हैं। दीपाल खाती ने प्रतियोगिता करवाने के लिए नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट का धन्वाद किया। कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है।


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कैप्शन: स्व. नरेंद्र उनियाल की 73वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते सामाजिक सरोकार से जुड़े जन
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कैप्शन: अपने हाथों से बनाई गई स्व. नरेंद्र उनियाल की पेंटिंग को उनके भाई व दैनिक जयन्त के संपादक नागेंद्र उनियाल को सौंपते लोक कलाकार अनुसूया प्रसाद डंगवाल
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कैप्शन: उत्तराखंड: दशा एवं दिशा लेखन प्रतियोगिता के विजेता पूर्व प्रधानाचार्य चित्रमणि देवलियाल को सम्मानित करते अतिथि
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कैप्शन: उत्तराखंड: दशा एवं दिशा लेखन प्रतियोगिता के विजेता युवा पत्रकार रोहित लखेड़ा को सम्मानित करते अतिथि
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कैप्शन: उत्तराखंड:दशा एवं दिशा लेखन प्रतियोगिता की विजेता दीपाल खाती को सम्मानित करते अतिथि

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