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चिंतन शिविर के बाद भी कांग्रेस फिर बैक डोर पलिटिक्स एंट्री की राह पर!

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नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस ने उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में संगठनात्मक स्तर से लेकर चुनावी स्तर तक पर इतनी रणनीतियां बनाईं कि कांग्रेसियों को सब कुछ फुलप्रूफ लगने लगा। लेकिन चिंतन शिविर के कुछ दिनों बाद जब राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा की गई, तो कांग्रेस के ही कई बड़े-बड़े नेता पूरे चिंतन शिविर से निकले लब्बो लुआब पर सवाल उठाने लगे। नेताओं का कहना है कि पार्टी फिर उसी बैक डोर एंट्री वाली पलिटिक्स की राह पर चल रही है, जिससे कांग्रेस का पूरा बेड़ा गर्क हुआ है। राजनीतिक जानकारों का भी यही मानना है कि कांग्रेस पार्टी कम से कम अपने किए हुए वादे पर तो खरी उतरती। और 50 साल से कम उम्र के नेताओं को तो राज्यसभा भेजने पर विचार कर सकती थी।
कांग्रेस ने सात राज्यों से 10 बड़े नेताओं को राज्यसभा की एंट्री का रास्ता साफ कर दिया है। अब इस सूची पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के ही कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर खुलकर न सिर्फ अपनी नाराजगी जाहिर की बल्कि कई नेताओं के चयन पर भी सवाल खड़े किए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी ने जिस तरीके से अगले साल होने वाले छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में बाहरी उम्मीदवार बनाकर राज्यसभा भेजने का रास्ता तय किया है, वह उन्हें नुकसान पहुंचाने वाला है। राजस्थान कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी को कम से कम इतना सोचना चाहिए कि अगर राजस्थान के विधानसभा चुनावों से पहले राज्यसभा में राजस्थान के नेताओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता तो क्या बुराई थी। लेकिन पार्टी ने हमेशा से बैक डोर एंट्री वाली पलिटिक्स का दरवाजा खुला रखा। नतीजतन अलग-अलग राज्यों वाले कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी, मुकुल वासनिक और रणदीप सुरजेवाला को पार्टी ने राज्यसभा भेजकर उपत करने जैसा काम किया है। यही नहीं कांग्रेस के एक कद्दावर नेता यह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यहां पर भी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और बिहार की रंजीत रंजन को उम्मीदवार घोषित कर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेताओं दरकिनार किया है। कांग्रेस के एक नाराज नेता कहते हैं कि इस तरीके से पार्टी अपना न तो जनाधार बढ़ा सकती है और ना ही इन राज्यों में दोबारा सरकार वापसी का बहुत मजबूती से भरोसा दिला सकती है।
कांग्रेस पार्टी में बहुत अहम पद रखने वाले वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अब यह कांग्रेस पार्टी के लिए संकट काल का दौर है। वे कहते हैं कि यह कांग्रेस का वह दौर नहीं है जब उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस का ही दबदबा हुआ करता था। आप बैक डोर एंट्री से किसी को भी कहीं से राज्यसभा भेज सकते थे। लेकिन आज कांग्रेस पार्टी जब कुछ कुछ राज्यों तक ही सीमित रह गई है, तो पार्टी को अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करना चाहिए था। जिन राज्यों में आने वाले कुछ समय में विधानसभा के चुनाव हैं, कम से कम उन राज्यों के बड़े नताओं को तो राज्यसभा भेजकर राज्य के लोगों में भरोसा पैदा कर सकते थे। कांग्रेस के उक्त नेता कहते हैं लेकिन पार्टी अभी भी अपनी उस राजशाही से उबर नहीं पाई है। यही वजह है कि पार्टी सिर्फ अपनों को उपत करने में लगी हुई है।
कांग्रेस की नेता और फिल्म अभिनेत्री नगमा ने उत्तर प्रदेश के इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा का प्रत्याशी बनाए जाने पर सवाल उठाया है। नगमा ने ट्वीट कर कहा कि सोनिया गांधी ने 2003 में उन्हें शामिल करने के दौरान उन्हें भरोसा दिया था कि उनको आगे ले जाया जाएगा, लेकिन 18 साल बाद भी उनके लिए कोई गुंजाइश नहीं बनी। नगमा ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी क्या इमरान प्रतापगढ़ी से कम है। सिर्फ इमरान प्रतापगढ़ी पर यह सवाल उठाते हुए कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी को निशाने पर नहीं लिया, बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में अपने सबसे बुरे प्रदर्शन के बाद भी वहां के तीन बड़े नेताओं को अलग-अलग राज्यों से राज्यसभा भेजने जैसे फैसले पर भी पार्टी के नेताओं ने सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाली।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र राजपूत ने ट्विटर पर लिखा युद्घ काल में सेना और सेनापति का महत्व होता है और शांति काल में दरबारियों का। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में सुरेंद्र राजपूत के किए गए इस ट्वीट के राजनीतिक मायने ही निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के उम्मीदवारों की सूची घोषित किए जाने के बाद ट्वीट कर लिखा था श्शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गईश्। राजनीतिक गलियारों में इसके न सिर्फ मायने निकाले गए बल्कि सोशल मीडिया से लेकर पार्टी कार्यालय तक में इस बात की खूब चर्चाएं हुईं।
कांग्रेस ने अपने सात राज्यों से जिन 10 नेताओं को राज्यसभा भेजने के लिए उम्मीदवारी तय की है, उनमें उनकी उम्र को लेकर भी राजनीतिक हल्कों में चर्चाएं होने लगी हैं। उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के चिंतन शिविर में शामिल होने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी ने तो यह तय किया था कि अब 50 साल तक की उम्र के लोगों को जिम्मेदारियां ज्यादा दी जाएंगी। वह कहते हैं कि आप 10 उम्मीदवारों की उम्र का ही आकलन कर लें तो पाएंगे कि सिर्फ इमरान प्रतापगढ़ी और रंजीत रंजन की उम्र 50 साल से कम है जबकि अन्य 8 सदस्यों की उम्र 50 साल से ज्यादा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चिंतन शिविर के एक महीना बीतने से पहले ही जब पार्टी ने इस तरीके से अपने नेताओं को धोखा देना शुरू कर दिया है तो आने वाले विधानसभा लोकसभा के चुनावों में किस तरीके से उम्मीद की जा सकती है कि पार्टी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी।
राज्यसभा के उम्मीदवारों की सूची में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद का नाम न होने पर सबसे ज्यादा कांग्रेस के नेता सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी को यह बात बेहतर तरीके से समझ लेनी चाहिए कि गुलाम नबी आजाद जैसे कद्दावर नेता को भाजपा जैसी प्रमुख पार्टियां न सिर्फ तवज्जो दे रही हैं, बल्कि भरे सदन में उनका सम्मान और उनके इस्तकबाल में कसीदे पढ़ती हैं। कांग्रेस को इशारे समझने की बहुत जरूरत है। इसके अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य की सूची पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सवाल उठाते हैं कि 10 नेताओं में तीन नेता उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। उनका सवाल कांग्रेस आलाकमान से था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने ऐसे कौन से झंडे वाले थे, जिसके चलते उत्तर प्रदेश के नेताओं को इतनी ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। उनका सवाल था तीन नेताओं को लिया जाना था, तो कुछ नेता ऐसे थे जो लगातार जमीन पर रह कर काम कर रहे थे। हालांकि ऐसे तमाम सवालों पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि पार्टी ने जो भी फैसला लिया है वह बहुत ही सोच समझकर और दूरवर्ती फैसला है। उनका कहना है कि यह तो आलाकमान को भी पता था जब 10 नेताओं को राज्यसभा के उम्मीदवार के तौर पर नाम पेश किया जाएगा, तो लोगों में नाराजगी भी होगी। उनका कहना है कांग्रेस बहुत बड़ा परिवार है। प्रत्येक नेता को अपनी बात रखने का अधिकार है इसलिए अगर कोई नेता आहत होता है तो अपनी बात रख सकता है।

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