उत्तराखंड

पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों पर महंगी किताबों की मार

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हल्द्वानी। पढ़ाई के नाम पर उत्तराखंड में अभिभावकों की जेब काटी जा रही है। एडमिशन फीस बढ़ाने के बाद अब निजी स्कूलों ने एनसीईआरटी के इतर 6 गुना महंगी प्राइवेट पब्लिकेशंस की किताबें मंगानी शुरू कर दी हैं। निजी स्कूलों की मानमानी पर रोक लगाने को लेकर 2017 में तत्कालीन त्रिवेंद्र रावत सरकार ने शासनादेश जारी कर राज्य में आइसीएसई से संबद्घ विद्यालयों को छोड़कर अन्य सरकारी, पब्लिक स्कूल, अशासकीय विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य कर दी थीं।
साथ ही निजी प्रकाशकों की किताबों को पूरी तरह से प्रतिबंधित भी कर दिया था। इसके पीटे तर्क था कि निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें महंगे दाम में बेची जाती हैं और अभिभावकों पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है। हालांकि, 2018 में इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे दी गई थी। 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद रहे। ऐसे में निजी प्रकाशकों की किताबों को लागू करने की इस तरह की मनमानी की बात कभी बाहर नहीं आई। इधर, अब निजी स्कूलों की मनमानी और भी खुलकर सामने आने लगी है। कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में निजी स्कूलों में दाखिला लेने की होड़ मची हुई है। स्कूलों की ओर से किताबों की जो लिस्ट अभिभावकों को थमाई जा रही है, उसमें एनसीईआरटी की किताबें गिनी-चुनी हैं, जबकि प्राइवेट पब्लिकेशंस की किताबों की भरमार है। इससे बड़ी बात यह है कि लिस्ट में शामिल प्राइवेट किताबों की कीमत एनसीईआरटी की किताबों की कीमत से 4 से 6 गुना तक अधिक हैं।
सातवीं कक्षा की प्राइवेट किताबें 3 गुना महंगी
शहर के नैनीताल रोड स्थित एक नामी निजी स्कूल ने 7वीं कक्षा की किताबों की लिस्ट अभिभावकों को थमाई है। दुकान पर एनसीईआरटी की 5 किताबें उन्हें महज 670 रुपये में मिल गई। शेष 5 किताबें प्राइवेट पब्लिकेशंस की थीं तो उन्हें खरीदने के लिए 2100 रुपये खर्च करने पड़ गए। इस लिहाज से उन्हें प्राइवेट किताबें एनसीईआरटी से 3 गुना से अधिक महंगी बैठीं।
ऊंचापुल के स्कूल में कक्षा 6 में 19 किताबें मंगाईं
ऊंचापुल स्थित एक निजी स्कूल ने कक्षा 6 में दाखिला लेने वाले बच्चों से 19 किताबें मंगा डाली हैं। इनमें 10 किताबें एनसीईआरटी की हैं और 9 किताबें प्राइवेट पब्लिकेशंस की हैं। इन किताबों को खरीदने में साढ़े 3000 रुपये खर्च हो रहे हैं।
चौथी कक्षा की 6 किताबें 1600 रुपये की
मुखानी की स्टेशनरी शप पर खड़े अभिभावकों ने पर्चा दिखाते हुए बताया कि उनके बच्चे आरटीओ रोड स्थित एक निजी स्कूल की चौथी कक्षा में पढ़ते हैं। स्कूल की ओर से दी लिस्ट में एनसीईआरटी की चार (रिमझिम, मैथ मैजिक, मैरीगोल्ड, लुकिंग अराउंड) किताबें 260 रुपये, जबकि 6 किताबें 1600 रुपये कीमत की खरीदनी पड़ी हैं, जो प्राइवेट पब्लिकेशंस की हैं।
एनसीईआरटी की कई किताबें बाजार में नहीं हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई और जरूरत के अनुसार प्राइवेट पब्लिकेशंस की किताबें मंगाई जा रही हैं। कई किताबें ऐसी भी हैं, जिनका सेलेबस एनसीईआरटी भी नहीं बनाता है। -कैलाश भगत, अध्यक्ष पब्लिक स्कूल एसोसिएशन हल्द्वानी।
प्राइवेट पब्लिकेशंस की किताबें कक्षाओं में लागू करने या न करने को लेकर फिलहाल कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। शासन से इस मामले में जिस तरह का आदेश प्राप्त होगा, उसी अनुसार कार्यवाही की जाएगी। -लीलाधर व्यास, अपर निदेशक (कुमाऊं) माध्यमिक शिक्षा।

आईसीएसई बोर्ड को छोड़ कर प्रदेश में सभी बोर्ड के स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य हैं। छात्रों के शैक्षिक विकास के लिए कुछ स्तर पर सहायक किताबें भी आवश्यक होती हैं लेकिन इसके लिए अभिभावकों पर किसी खास पब्लिशर की अथवा महंगी किताबें खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। इस विषय को गंभीरता से लिया जाएगा। -बंशीधर तिवारी महानिदेशक शिक्षा।

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