कोटद्वार-पौड़ी

दोबारा विकराल बने नदी-गदेरे, दहशत में दिन काट रहे परिवार

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : बरसात में विकराल रूप लेकर बह रहे नदी-गदेरे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की चिंता बढ़ा रहे हैं। मंगलवार को भी अचानक उफान पर आए नदी-गदेरों ने परिवारों को दहशत में डाल दिया। कई लोगों ने अपने भवनों को खाली कर परिचित व रिश्तेदारों के घर शरण ली।
13 अगस्त की राहत हुई अतिवृष्टि ने गाड़ीघाट, झूलाबस्ती व काशीरामपुर तल्ला क्षेत्र के कई परिवारों को बेघर कर दिया था। खोह नदी में भवन समा जाने के बाद यह परिवार आपदा राहत शिविरों में दिन काट रहे थे। साथ ही नदी के आसपास रहने वाले अन्य परिवारों ने भी अपने रिश्तेदारों व आपदा राहत शिविरों में शरण ले ली थी। पिछले नौ दिन से बरसात नहीं होने के बाद कई परिवार वापस अपने घरों में लौटने लगे थे। लेकिन, मंगलवार को दोबारा विकराल रूप लेकर आए नदी-नालों ने इन परिवारों को दहशत में डाल दिया है। पूर्व में 33 भवनों को धराशायी कर चुकी खोह नदी अब आसपास के बचे भवनों की नींव भी खोखली कर रही है। खोह से कुंभीचौड़ व रतनुपर क्षेत्र में लगातार भू-कटाव हो रहा है। काश्तकारों की कृषि भूमि लगातार नदी में समा रही है। वर्षा के दौरान कुंभीचौड़ में बहने वाला बेहडास्रोत भी अपने पूरे वेग में बह रहा था। 13 अगस्त की रात बेहडास्रोत आसपास के 18 भवनों को अपने साथ बहाकर ले गया था। वहीं, घाड़ क्षेत्र के जंगलों से निकलने वाले पनियाली गदेरे ने भी आमपड़ाव व कौड़िया के वाशिंदों की चिंता बढ़ा दी। कौड़िया निवासियों ने बताया कि 13 अगस्त की रात हुई तबाही के बाद वर्षा रुकी हुई थी। जिसके बाद वह अपने परिवारों के साथ वापस घरों में लौटने लगे थे। लेकिन, एक बार फिर मौसम ने उन्हें डरा दिया है। प्रभावित परिवारों ने प्रशासन ने खोह नदी में चैनेलाइजेशन करवाने की मांग की है।

गिवईस्रोत के समीप ढहा पुश्ता
मंगलवार को हुई बारिश से गिवईस्रोत के समीप सड़क का पुश्ता ढह गया। सूचना के बाद मौके पर पहुंची वेरिकेटिंग कर मार्ग के बचे हुए हिस्से से आवागमन करवाया। इस दौरान पुलिस ने लोगों से बरसात के समय सावधानी पूर्वक आवाजाही करने की अपील की।

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