उत्तराखंड

प्रातिक खेती विषय पर हुआ किसान संगोष्ठी का आयोजन

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नई टिहरी। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विवि के रानीचौरी परिसर में षि विज्ञान केंद्र वानिकी महाविद्यालय व षि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आतमा परियोजना के तहत प्रातिक खेती विषय पर किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि वानिकी विवि के कुलपति अजीत कुमार कर्नाटका ने किया। संबोधन में कुलपति ने कहा कि किसान प्रातिक खेती को तब्बजो दें। जो कि हर स्तर पर लाभकारी होगा। संगोष्ठी में कुलपति ने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए भी शपथ दिलाई। प्रातिक खेती के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा प्रातिक खेती में किये गए क्रिया कलापों से अवगत कराते हुए गाय पालन को जरूरी बताया। हर घर एक गाय प्रातिक खेती के लिए जरूरी है। विशिष्ट अतिथि बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने प्रातिक खेती के साथ-साथ फसलों के स्थानीय बीजों को संरक्षित करने व सरकार के माध्यम से किसानों को गाय पालन के लिए सब्सिडी देने के विचार रखे। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार प्रोसी तिवारी ने प्रातिक खेती के मुख्य बिन्दुओं पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डा़ला व किसानों को प्रातिक खेती के माध्यम से अधिक से अधिक आय अर्जित करने के लिये प्रेरित किया। सीएओ अभिलाषा भट्ट ने सरकार की चलायी जा रही विभिन्न पारम्परिक षि विकास योजनाओं, राष्ट्रीय षि विकास योजनाओं व किसान क्रेडिट कार्ड योजनाओं की जानकारी देकर किसानों से लाभ लेने की अपील की। डा़ अरविंद बिजल्वाण ने कहा की आज के परिवेश में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी के क्षरण होने के वजह से प्रातिक खेती का महव बढ़ा है। तकनीकी मार्गदर्शन करते हुए मृदा वैज्ञानिक डा़ शिखा ने प्रातिक खेती के दो स्तम्भ जैसे की बीजामृत एवं जीवामृत की उपयोग पद्घिति के बारे में चर्चा की। संगोष्ठी में डा़. सचिन कुमार, डा़. लक्ष्मी रावत, डा़. अजय कुमार ने प्रातिक खेती को लेकर विचार रखे। संगोष्ठी का संचालन डा़. आलोक येवले ने करते हुए अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस मौके पर डा़. एसपी सती, डा़ अमोल, डा़ योगेश, डा़ सुमित, डा़ रीना, डा़ पदम, संगीता देवी, गरिमा तिवारी, उदय सिंह, अमित सजवाण, नीरज सजवाण आदि शामिल रहे।

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