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चीनी घुसपैठ को अवधारणा का अंतर बताना बंद करे सरकार: कांग्रेस

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नई दिल्ली। चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर जारी सियासी घमासान के क्रम में मंगलवार को कांग्रेस ने विदेशमंत्री एसज़यशंकर पर पलटवार करते हुए राजग सरकार की चीन नीति पर सवालों के तीर दागे। चीन से रिश्ते सामान्य नहीं होने के विदेशमंत्री के बयान पर पार्टी ने कहा कि ऐसा है तो पाकिस्तान की तरह चीनी राजदूत को अब तक क्यों नहीं तलब किया गया है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि चीनी घुसपैठ को श्अवधारणा का अंतरश् बताकर उसे वैध ठहराए जाने के बजाय सरकार को इसके खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करनी चाहिए और विदेशमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 2020 की यथास्थिति कब तक बहाल होगी।
विदेशमंत्री ने जवानों के बारे में राहुल गांधी के बयान पर सोमवार को एतराज जताया था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को एक बयान जारी कर इसका जवाब देते हुए कहा कि विदेश मंत्री का कहना है कि हम चीन पर दबाव बना रहे हैं फिर हमारा दृष्टिकोण प्रतिक्रियात्मक क्यों हैं? एलएसी पर 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली सुनिश्चित किए बिना हम कैलाश पर्वत श्रेणी में अपनी सामरिक रूप से लाभप्रद स्थिति से पीटे क्यों हट गए?
हम अधिक आक्रामक क्यों नहीं हुए और चीनियों को पीटे हटने को मजबूर करने के लिए जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं की जैसा 1986 और 2013 में किया गया था? जयराम ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया कि हम अपना दावा पुरजोर ढंग से पेश करने की बजाए चीनी घुसपैठ को श्अवधारणा का अंतरश् बताकर उसे वैध ठहराना कब बंद करेंगे?
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हम विदेशमंत्री के इस कथन से सहमत हैं कि हमारे जवानों का श्सम्मान, सराहना और सत्कारश् किया जाना चाहिए, क्योंकि वे हमारे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ डटकर खड़े हैं। लेकिन गलवन की घटना जिसमें हमारे 20 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान किया उसके बाद 19 जून, 2020 के पीएम मोदी के बयान श्न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ हैश् में क्या यह भावना और सम्मान था?
चीन के साथ 2021-22 में 95 बिलियन डालर के आयात और 74 बिलियन डालर के व्यापार घाटे के साथ चीन पर हमारी व्यापार निर्भरता रिकार्ड उच्च स्तर पर क्यों पहुंच गई है? इस स्थिति में सितंबर 2022 में रूस के वोस्तोक-22 अभ्यास में हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों के साथ सैन्य अभ्यास क्यों किया?
पिथौरागढ़। भारत-नेपाल सीमा पर बसे दोनों देशों के नागरिक बंदरों के आतंक से परेशान हैं। मंगलवार को नेपाल के बेतड़ी पिपलकोट में खाना बना रही मीना भट्ट (40) पर बंदर ने हमला कर घायल कर दिया। मीना के सिर पर गंभीर चोट आई है, छह टांके लगें है। बीते दिनों झूलाघाट में भी एक महिला को बंदरों ने हमला कर घायल कर दिया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदरों का आतंक दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। कानडी, गेठीगड़ा सहित अन्य क्षेत्रों में बंदरों ने खेती चौपट कर दी है। इससे कास्तकार खासे परेशान है।

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