कोटद्वार-पौड़ी

भगवान राम के आदर्शों पर चले सरकार : शंकराचार्य

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श्री सिद्धबली बाबा वार्षिक अनुष्ठान महोत्सव में बोले जगदगुरु शंकराचार्य राजराजेश्वर महाराज
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : जगदगुरु राजराजेश्वर महाराज ने कहा कि देश में राम राज्य स्थापित करने के लिए सरकार को राम के बताए आदर्शों पर चलना होगा। भगवान राम ने हमेशा अपनी प्रजा को सर्वोपरी समझा। वर्तमान के हालात देखकर लगता है कि देश में प्रजातंत्र पूरी तरह खत्म हो चुका है। तानाशाही रवैये के साथ देश को चलाया जा रहा है।
श्री सिद्धबली बाबा वार्षिक अनुष्ठान महोत्सव-2021 के समापन पर आयोजित कार्यक्रम का जगदगुरु शंकराचार्य राजराजेश्वर महाराज, भारत मंदिर हरिद्वार के महंत ललितानंद गिरी महाराज व लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि जगदगुरु शंकराचार्य राजराजेश्वर महाराज ने कहा कि भारत देश में प्रजातंत्र केवल नाम का रह गया है। हकीकत यह है कि देश में तानाशाही रवैया चल रहा है। देश की प्रजा की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार को राम नाम का बखान करने के बजाय उनके आदर्शों पर चलना चाहिए। कहा कि भगवान राम के जैसा पुत्र, भाई व राजा मिलना एक सौभाग्य की बात होती है। भगवान रात हर किसी के दर्द को समझते थे। कहा कि आजादी से पूर्व देश को राम राज्य की तर्ज पर चलाने का सपना देखा गया था, लेकिन यह एक दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कई लोगों को अपना बलिदान देना पड़ा। आज हमारे नेताओं को भगवान राम के बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। राम के आदर्शों पर चले बिना हम रामराज्य की स्थापना नहीं कर सकते। इस मौके पर कृषि मंडी समिति के अध्यक्ष सुमन कोटनाला, श्री सिद्धबली मंदिर समिति के अध्यक्ष कुंज बिहारी देवरानी, मेला संयोजक अनिल कंसल, महोत्सव समिति के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल, महासचिव विवेक अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

जागरों से गुंजायमान हुआ सिद्धों का डांडा
पूर्णाहुति के साथ सिद्धबाबा को लगाया गया सवामन रोट का भोग
सिद्धबली वार्षिक अनुष्ठान के अंतिम दिन आयोजित किए गए जागर
जयन्त प्रतिनिधि
कोटद्वार। अलेठी-पलेठी धौला उडयारी जाग, मोड़ाखाल जाग, मलोठी भाबर मा जाग, सिद्धबली मंदिर मा सिद्धबाबा जाग, माता विमला मोहरी को जाग, राजा कुंवरपाल को जाग.’जैसे जागरों से रविवार को ‘सिद्धों का डांडा’ गुंजायमान हो उठा। मौका था श्री सिद्धबली मंदिर परिसर में चल रहे तीन दिवसीय श्री सिद्धबली बाबा वार्षिक अनुष्ठान के समापन का। इस मौके पर एकादश कुंडीय यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ बाबा सिद्धबली को सवामन रोट का भोग लगाया गया। इस रोट को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।
रविवार को तीन दिवसीय मेले के अंतिम दिन आज ब्रह्ममुहूर्त में श्री सिद्धबाबा के महाभिषेक के उपरांत आचार्य पं.देवी प्रसाद भट्ट के सानिध्य में रूद्र पाठ हुआ। तत्पश्चात उन्हीं के संयोजकत्व में पिछले तीन दिन से चल रहे एकादश कुंडीय यज्ञ का भी पूर्णाहुति के साथ समापन किया गया। यज्ञ समापन के उपरांत श्री सिद्धबाबा के जागर शुरू हुए। जगरी सर्वेंद्र हरीश भारद्वाज व साथियों की ओर से प्रस्तुत जागरों को सुनने के लिए भारी संख्या में कोटद्वार समेत आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु सिद्धबली मंदिर में पहुंचे। जागर के दरम्यां कई महिलाएं’ देवी-देवताओं’के प्रभाव में आकर नाचने लगी। इसी दौरान ‘सिद्धबाबा’ के प्रभाव में आए लोगों ने अपनी पीठ पर लोहे के सांकल से प्रहार शुरू कर दिया व दहकते हुए अंगारों पर नृत्य करने लगा। इससे वहां मौजूद लोग दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो गए। जागर के उपरांत भगवान सिद्धबली को सवामन रोट का भोग लगाया गया। वहीं, रोट का प्रसाद लेने के लिए मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी लाइन लगी हुई थी।

मंदिर में भी लगी भीड़
बाबा सिद्धबली के प्रति गढ़वाल क्षेत्र के साथ ही देश विदेश के कई भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। यही कारण था कि रविवार को सिद्धबली बाबा के दर पर भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने बाबा के दर पर माथा टेक अपने परिवार व देश के लिए खुशहाली की कामना की। इस दौरान मंदिर परिसर में भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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