उत्तराखंड

आपदा प्रभावित सेमी गांव की सुध ले सरकार

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रुद्रप्रयाग। केदारनाथ में वर्ष 2013 में आई आपदा के दौरान केदारघाटी के सेमी गांव में लोगों की समस्याओं का आज तक समाधान नहीं हो सकता है। भूगर्भीय, पर्यावरणीय, भौगोलिक एवं प्राकृतिक आपदा से बेहद ही संवेदनशील सेमी गांव में अब भी लोग परेशानियों में है। यहां पैदा हुई समस्याएं एवं विसंगतियों को दूर करने के लिए मामले की जांच एवं पड़ताल कर लोगों को राहत दिलाई जाए। मुख्यमंत्री एवं जिलाधिकारी को दिए ज्ञापन में सामाजिक कार्यकर्ता एवं केदारघाटी सामाजिक आर्थिक विकास मंच के संयोजक शंकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि आपदा से सेमी गांव में भूस्खलन और भू-धंसाव लगातार जारी है, किंतु आज तक कोई सुध नहीं ली जा रही है। उपेक्षित और अनियोजित नीतियों के चलते गांव का पुनर्वास एवं विस्थापन नहीं किया गया। कहा कि सेमी गांव में दलदली जमीन है जो भविष्य के लिए लगातार खतरा बना है। गांव के बीचों-बीच प्राकृतिक जल स्रोतों की सही निकासी न होने से क्षेत्र में आपदा का खतरा बना है। वहीं मंदाकिनी के कटाव से गांव के लिए भू-धंसाव हो रहा है। सरकार द्वारा 11 परिवारों को आज तक मुआवजा नहीं दिया गया है। गांव के करीब सिंगोली-भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना का जल भराव क्षेत्र में पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। कहा कि आपदा के बाद से मोटर मार्ग, सम्पर्क मार्ग, खेत-खलियान, आंगन और स्कूल, पंचायत भवन आदि में पड़ी दरारों का ट्रीटमेंट नहीं हुआ है। सरकार द्वारा मंदाकिनी नदी और मुख्य मोटर मार्ग सहित गांव के चारों ओर सुरक्षा दीवार नहीं बनाई गई है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।

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