सतीश बुड़ाकोटी के बीएसएफ में आईजी बनने से गांव में खुशी का माहौल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पौड़ी गढ़वाल के जयहरीखाल ब्लॉक के चाई गांव निवासी सतीश चंद्र बुड़ाकोटी की सीमा सुरक्षा बल में आईजी पद पर पदोन्नति से उनके गांव में खुशी की लहर है। ग्रामीणों ने इसे गौरव का क्षण बताया।
डॉ. पदमेश बुड़ाकोटी ने बताया कि मूल रूप से चाई गांव निवासी सतीश चंद्र बुड़ाकोटी ने सेंट एडमंडस कॉलेज शिलांग से स्नातक करने के बाद सन 1986 में सहायक कमांडेंट के रूप में बीएसएफ में प्रवेश किया। सीमा सुरक्षा बल में 35 वर्ष की सेवा के दौरान उन्होंने पंजाब, जम्मू कश्मीर, उत्तर पूर्व के उग्रवाद से ग्रसित राज्यों में सराहनीय कार्य किया। साथ ही दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल की महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों में कार्य किया है। संयुक्त राष्ट्र मिशन में प्रतिनियुक्ति के दौरान सीमा पुलिस प्रमुख व ऑपरेशन अधिकारी के सलाहकार के तौर पर उन्होंने गृह युद्ध से प्रभावित बोस्विया, हर्जेगोविना में अपनी सेवाएं दी। वह राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) में ग्रुप कंमाडर भी रहे। उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए वर्ष 2009 में उन्हें राष्ट्रपति ने पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। डॉ. पदमेश बुड़ाकोटी ने बताया कि सतीश चंद्र बुड़ाकोटी की सीमा सुरक्षा बल में आईजी पद पर पदोन्नति के साथ भुवनेश्वर उड़ीसा में तैनाती मिली है। इस फं्रटियर में वह आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण एंटी नक्सल ऑपरेशन की कमान संभालेगे। उन्होंने भुवनेश्वर में अपनी नई तैनाती पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है। आईजी सतीश बुड़ाकोटी को आतंकवाद से लड़ने का व्यापक अनुभव है। वह राष्ट्रीय सुरक्षा व संचालन संबंधी मुद्दों के एक पूर्ण विशेषज्ञ है। इसी वजह से बीएसएफ ने उन्हें एंटी नक्सल ऑपरेशन की कमान सौंपी है।