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दल बदल के प्रयाय बने हरक सिंह भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक से रहे नदारद

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-बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी चयन के पैनल पर हुई चर्चा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दल बदल के प्रयाय बन चुके कोटद्वार विधायक व काबीना मंत्री हरक सिंह रावत एक बार फिर चर्चाओं में आ गए हैं। शनिवार को वह भारतीय जनता पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक से नदारद रहे। जिससे राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कयास तो यहां तक लगाए जा रहे हैं कि क्या हरक इस बार के चुनाव में भी पार्टी और सीट दोनों बदल रहे हैं।
उत्तराखंड भाजपा मुख्यालय में पार्टी के प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक शुरू हो गई है। बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी चयन को दावेदारों के पैनल पर चर्चा की जा रही है। बैठक में केंद्रीय मंत्री और प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत व विजय बहुगुणा, भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय, प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र भंडारी व सुरेश भट्ट, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व धन सिंह रावत, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल आदि मौजूद हैं।

हरक सिंह कहीं कांग्रेस में तो नहीं हो रहे शामिल
कोटद्वार विधायक व काबीना मंत्री हरक सिंह रावत के भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक से नदारद रहने को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि राजनीतिक गलियारों में ऐसी सुगबुगाहट भी है कि वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं है। लेकिन, उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसा होने की संभावना भी है। यदि वह कांग्रेस में शामिल होते हैं तो यह भाजपा के लिए बहुत बड़़ा झटका होगा।

हरक चुनाव से ऐन पहले कई बार बदल चुके हैं पाला
चुनाव के समय दल बदल को लेकर हरक सिंह रावत का चर्चाओं में रहना आम बात है। उनके पिछले रिकॉर्ड में नजर डालें तो वह पहले भी चुनाव से ऐन पहले पाला बदल कर सभी को हेरत में डाल चुके हैं। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत लैंसडौन सीट से मैदान में उतरे और कामयाबी पाई। वर्ष 2007 के चुनाव में उन्होंने फिर लैंसडौन सीट पर जीत दर्ज की। वर्ष 2012 के चुनाव में उन्होंने रुद्रप्रयाग सीट को चुना और यहां भी चुनाव जीतने में सफल रहे। वर्ष 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत समेत कांग्रेस के नौ विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी से विद्रोह कर हरीश रावत सरकार गिराने की कोशिश की। ये सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद वर्ष 2017 में हरक सिंह रावत ने कोटद्वार विधानसभा सीट को चुना और यहां भी जीत दर्ज की। वहीं, पार्टी बदलने की बात करें तो भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ा, उसके बाद बसपा में शामिल हुए फिर कांग्रेस में और फिर कांग्रेस को झटका देते हुए फिर से भाजपा में शामिल हो गए।

27 सीटों पर भाजपा के टिकट तय
उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए भाजपा मंथन में जुट गई है। विधानसभा की 27 सीटें ऐसी हैं, जिनमें प्रत्याशियों के टिकट लगभग तय हैं और पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड से उनके नाम का केवल औपचारिक ऐलान होना बाकी है। रविवार को पार्टी की ओर से सभी दावेदारों के पैनल की सूची दिल्ली में केंद्रीय संसदीय बोर्ड को सौंपी जाएगी। प्रत्याशियों के चयन के मद्देनजर पैनल तैयार करने के लिए प्रदेश भाजपा ने हाल में ही पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों को सभी विधानसभा क्षेत्रों में भेजा था। बताया जा रहा कि सभी सीटों के लिए 160 से ज्यादा नाम सामने आए हैं। कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जिनके पैनल में एक-एक ही नाम है।

मुझे नहीं दी भाजपा कोर ग्रुप की बैठक की सूचना : हरक सिंह
कोटद्वार : आगामी विधानसभा चुनाव को टिकटों के पैनल के लिए देहरादून में बुलाई गई भाजपा कोर ग्रुप की बैठक की सूचना कोटद्वार विधायक व काबीना मंत्री हरक सिंह रावत को नहीं मिली। कोर ग्रुप की बैठक में हरक सिंह की गैरमौजूदगी को लेकर उठे सवालों पर मंत्री हरक सिंह ने कहा कि उन्हें बैठक की जानकारी नहीं दी गई। दोपहर में दिल्ली से लौट रहे हरक सिंह ने कहा कि शुक्रवार को वे कोटद्वार में थे और फिर दिल्ली चले गए। मंत्री हरक सिंह के मूव का अभी तक अंदाजा नहीं लग पा रहा है। कांग्रेस का एक गुट हरक सिंह की वापसी की वकालत कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि हालिया दिल्ली प्रवास में कांग्रेस के रणनीतिकारों की भाजपा मंत्री हरक सिंह से लम्बी वार्ता हुई।

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