उत्तराखंड

खसरा व रूबेला उन्मूलन पर स्वास्थ्यकर्मी दें जोर

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नई टिहरी। खसरा और रूबेला उन्मूलन के लिए जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक गुरुवार को एडीएम केके मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में एडीएम ने कहा कि खसरा और रूबेला बीमारी से निपटने के लिए कड़ी निगरानी व जागरूकता जरूरी है।
एडीएम ने जिला पंचायत राज विभाग, शिक्षा विभाग, बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित कर कहा कि ग्राम पंचायतों, स्कूल एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों को लेकर सजग रहें। खसरा और रूबेला बीमारी के संदिग्धों की तत्काल समीप के अस्पताल में जांच करायें। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि सभी एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी व सुपरवाइजर को प्रशिक्षित करने के साथ ही ब्लक स्तर पर भी इसकी बैठक कराना सुनिश्चित करें। सीएमओ डा़ मनु जैन ने बताया कि भारत सरकार खसरा और रूबेला बीमारी को वर्ष 2023 तक उन्मूलन किये जाने का लक्ष्य रखा गया। खसरा और रूबेला बीमारी में भी कोविड गाइड लाइन का अनुपालन करना आवश्यक है। खसरा-रूबेला की दोनों खुराक (प्रथम और द्वितीय) 9 महीने से 5 साल तक के बच्चों को दी जाती है। एसीएमओ डा़ दीपा रूबाली ने बताया कि खसरा संक्रामक विषाणु जनित रोग है। यह कमजोर पृष्ठभूमि के बच्चों के लिये विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि यह कुपोषित और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों पर हमला करता है। यह अंधापन, दस्त, कान के संक्रमण और निमोनिया सहित गंभीर जटिलताओं का कारण हो सकता है। रूबेला एक संक्रामक, आमतौर पर हल्का वायरल संक्रमण है जो अक्सर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है। खसरा और रूबेला की रोकथाम के उपाय, टीकाकरण आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। बैठक में सीएमएस बौराड़ी डा अमित राय, डा अनिल नेगी, एसएमओ डा अजित गुप्ता, डीपीआरओ एमएम खान, डीईओ बेसिक वीके ढौंडियाल सहित एमओआईसी उपस्थित रहे।

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