उत्तराखंड

कुमाऊं में तेज हवा के साथ हो रही बारिश, पिथौरागढ़ में दर्जनभर परिवारों को मलबे से बचाया

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हल्द्वानी। उत्तराखंड के कुमाऊं में दोपहर बाद बादल छाने लगे थे। शाम होते-होते अचानक से तेज हवा चलने लगी और कुछ ही देर में बारिश शुरू हो गई। पिथौरागढ़ में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ओले गिरने लगे तो तराई के जिले में बारिश हो रही है। इसके साथ ही तापमान में तेजी से गिरावट आई। इससे कई दिनों की तपन से राहत मिली है।
वहीं, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में भारी बारिश ओलावृष्टि। मुनस्यारी मिलम मार्ग में आपदा प्रभावित गांव धापा में पहाड़ की तरफ से पानी और मलबा आ रहा है। एक दर्जन परिवार मकानों से निकलकर सुरक्षित स्थान पर शरण लिए है। बारिश थमने के बाद घरों को जाएंगे। चीन सीमा को जोड़ने वाला मुनस्यारी मिलम मार्ग बंद हो गया है।
मुनस्यारी में भारी बारिश हो रही है। मुनस्यारी मिलम मार्ग पर आपदा प्रभावित गांव धापा में पहाड़ की तरफ से पानी और मलबा आ रहा है। एक दर्जन परिवार मकानों से निकलकर सुरक्षित स्थान पर शरण लिए हैं। चीन सीमा को जोड़ने वाला मुनस्यारी मिलम मार्ग बंद है।
मौसम विज्ञानियों का पूर्वानुमान बुधवार को बिल्कुल सटीक बैठा। तराई में दोपहर से ही हल्के बादल और हवा के साथ बादल छाए। काशीपुर, जसपुर की ओर वर्षा के बाद रुद्रपुर में शाम करीब साढ़े छह बजे से तेज हवा के साथ ही हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई। कुछ ही देर के बाद बादल गरजने के साथ ही बारिश शुरू हुई। इससे लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिली। घरों से निकलकर ठंडी हवा लोग लेते हुए नजर आए। पंत विवि के मौसम विज्ञानी डा आरके सिंह ने बताया कि बुधवार को दो से पांच मिली मीटर वर्षा हुई। गुरुवार को भी ठंडी हवा के साथ हल्की बूंदाबांदी की संभावना है।
तापमान में गिरावट का सिलसिला बरकरार रहने की वजह से तीसरे दिन भी वन विभाग और लोगों को राहत मिलती दिखी। राज्य में 20़5 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया। पिछले तीन दिन से तापमान में गिरावट आने की वजह से जंगल में आग के मामले भी कम सामने आए।
15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हुआ था। लेकिन अप्रैल की शुरूआत के साथ जंगलों में आग का सिलसिला तेजी से बढ़ा। तापमान में उछाल के कारण जंगलों की नमी खत्म हो गई। जिस वजह से आग भड़कती गई। लेकिन रविवार को हल्द्वानी में अधितकम तापमान में चार डिग्री की गिरावट आई। तराई से लेकर पहाड़ तक यह बदलाव दिखा। जिसके चलते जंगल में आग लगने के मामले भी कम हुए। बुधवार को बारिश यदि रात में अधिक देर तक हुई तो तापमान के साथ जंगल की आग बुझाने में काफी मदद्गार साबित होगी।

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