हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भू-अध्यादेश लाने की मांग की
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। संयुक्त समाज सेवी संगठन ने हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भू-अध्यादेश लाने की मांग की है। इस संबंध में संगठन के पदाधिकारियों ने उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है।
संगठन के अध्यक्ष महानन्द ध्यानी ने कहा कि उत्तराखण्ड भू-माफियों का केंद्र बनता जा रहा है, अगर इसी गति से बाहरी व्यक्तियों द्वारा जमीन की खरीद फरोक्त चलती रही तो एक दिन यहां के निवासियों को भूमि विहिन होने से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के कार्यकाल में उत्तराखण्ड में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीद-फरोक्त पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया था, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते इसे निरस्त कर दिया गया। वर्तमान में भू-माफिया राजनीतिक संरक्षण में पहाडी जमीन को बेरोक-टोक खरीद रहे हैं। लेकिन शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। मौके का फायद उठाते हुए अराजक तत्व व देश विरोधी ताकतें भी अपनी पैठ बनाने में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस पर भू-अध्यादेश लाकर रोक नहीं लगाई गई तो एक दिन उत्तराखंड को कश्मीर बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। इसलिए शीघ्र इस ओर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है वह अपनी मेहनत से अपना जीवन यापन करते है। ऐसे में उन्हें पैसों का प्रलोभन व राजनीति तथा माफियाओं के दबाव में जमीन बेचने को मजबूर किया जा सकता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से हिमाचल प्रदेश की तरह भू-अध्यादेश लाकर पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड की जमीन को बाहरी लोगों द्वारा खरीद फरोख्त पर प्रतिबन्ध लगाया जाय। ज्ञापन देने वालो में संगठन के अध्यक्ष महानंद ध्यानी, सुल्तान सिंह रावत, महोहन सिंह रावत, दीप बलूनी, राजेंद्र सिंह, सुनील विश्वकर्मा आदि शामिल रहे।