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हिंदी कश्मीरी संगम ने गंगा में प्रवाहित की 10 हजार लावारिस लोगों की अस्थियां

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हरिद्वार। हिंदी-कश्मीरी संगम की अध्यक्ष डा.बीना बूंदकी के साथ दिल्ली से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पूजा माई और उनकी टीम करीब दस हजार लावारिस और असहाय लोगों की अस्थियां लेकर हरिद्वार पहुंची एवं सदविचार परिवार के केपी लहरी व सिद्धार्थ के संयोजन में कनखल के सती घाट पर अस्थियों को गंगा में विधि विधान से विसर्जित किया। शनिवार को सती घाट पर लावारिस और असहाय लोगों की अस्थियों का विसर्जन किया गया। इस मौके पर हिंदी कश्मीरी संगम की अध्यक्ष डा.बीना बूंदकी ने कहा कि जीवन काल में सभी लोग साथ रहते हैं। किंतु मरणोपरांत मनुष्य के कर्म ही उनके साथ जाते हैं। वर्तमान में उन्होंने लावारिसों को अपना कांधा देकर मां गंगा की गोद में अर्पित किया है। जूना अखाड़े के श्रीमहंत हिमानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि वर्तमान में विज्ञान, आधुनिकतावाद, बाजारवाद के चलते सनातन धर्म लुप्त हो रहा है। भारतीय संस्कृति की परंपराओं को बचाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों से लावारिस अस्थियों को लाकर मां गंगा में विसर्जन करने के लिए वे इस संगठन का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पूजा माई ने कहा कि वह सभी से निवेदन करती हैं कि अपने पूर्वजों की अस्थियां गंगा में जरूर प्रहावित करें। ऐसा करने से ही उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। देखा जा रहा है कि लोग दाह संस्कार के बाद अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं। इसलिए यह अस्थियां लावारिस रूप में श्मशान घाट में पड़ी रहती हैं। गंगा की गोद नहीं मिलने के चलते इनकी लावारिस आत्माएं भटकती रहती हैं। ऐसे में अपनी मां बीना बुंदकी के साथ मिलकर वह लावारिस अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर मोक्ष दिलाने का प्रयास कर रही हैं। इस मौके पर आचार्य महेश, दलजीत सिंह, बीके कटारिया, एडवोकेट सुनीता मजुमदार, सुधीर वर्मा, कृष्णा कुमार गौतम, एडवोकेट अशोक कुमार, मंजू अग्रवाल, ललित मिश्रा, राजीव कुमार शर्मा, देवेश, जय प्रकाश शुक्ल आदि मौजूद रहे।

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