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होम स्टे योजना को कोरोना से करारा झटका

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा पलायन को रोकने और पर्यटकों को स्तरीय आवासीय सुविधा देने के लिए शुरू की गई होम स्टे योजना को कोरोना से करारा झटका लगा है। कोरोना के कारण पर्यटन सीजन ठप है। चारधाम यात्रा स्थगित हो गई है। ऐसे में अब होम स्टे संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश सरकार ने राज्य के गांवों से पलायन थामने और रोजगार के अवसर सृजित करने के मकसद से 2016 में होम स्टे योजना शुरू की। मंशा यह थी कि गांव में खाली पड़े घरों को होम स्टे में तब्दील कर वहां पर्यटकों के रहने की व्यवस्था की जाए। घर जैसा वातावरण देते हुए उन्हें पारंपरिक व्यंजन तो परोसे ही जाएंगे, यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी वे रूबरू होंगे। दिसंबर 2019 तक राज्य के तमाम जिलों में 1842 होम स्टे अस्तित्व में आ चुके थे।
2020-21 में कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद तकरीबन 400 नए होम स्टे पंजीकृत हुए। उम्मीद जताई गई कि होम स्टे में योग-ध्यान, स्पा, पंचकर्मा जैसी वेलनेस से जुड़ी गतिविधियां शुरू करने के साथ ही इन्हें मौजूदा परिस्थितियों के दृष्टिगत कंपनियों, संस्थाओं समेत अन्य लोगों को वर्क फ्राम होम के लिए दिया जा सकेगा। इस साल मार्च में जब कोरोना के मामले कम हुए तो इससे उम्मीदें और बढ़ गई। अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर आई और सारी परिस्थितियां बदल गई। संक्रमण के रिकार्ड मामलों के चलते सरकार को कई तरह के प्रतिबंध लगाने पड़े हैं।
दूसरे राज्यों से आने वालों को बिना आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट के उत्तराखंड में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। पर्यटक भी अभी उत्तराखंड की ओर रुख नहीं कर रहे हैं। ऐसे में होम स्टे संचालकों को बिजली-पानी का खर्च उठाना भी भारी पड़ रहा है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर का कहना है कि अभी परिस्थितियां विपरीत हैं। जल्द ही इस बात पर विचार किया जाएगा कि किस तरह से इनकी मदद की जा सकती है।

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