कोटद्वार-पौड़ी

आशाओं ने सरकार पर लगाया शोषण का आरोप

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 33वें दिन शुक्रवार को धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आशाओं का शोषण कर रही है। सरकार छूठे आश्वासन देकर उनके साथ छल कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों को लेकर शासनादेश जारी नहीं होगा तब तक कार्यबहिष्कार जारी रहेगा।

तहसील परिसर में शुक्रवार को आशाओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आशाओं ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार कोरोना काल में वारियर्स के रूप कार्य कर रही महिला आशाओं के साथ सौतेला कर रही है। आशा कार्यर्तियों ने कहा कि सरकार 12 सूत्रीय मांगों की अनदेखी कर रही है। जबकि गांव-गांव जाकर आशा कार्यकर्ती स्वास्थ्य संबधी सभी कार्यों को संपादित करते आ रही हैं। यूनियन की दुगड्डा ब्लाक अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, सहित 12 सूत्रीय मांगें पूरी करने की मांग प्रदेश सरकार से की। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, सुमित्रा भट्ट, अनीता घिल्डियाल, मीना, नीलम कुकरेती, यशोदा, कल्पना बिष्ट, मंजू नेगी, सुमन रौथाण, कुसुम, मधु ममगांई, प्रमिला गुसांई, सुमित्रा पंत, भागीरथी भंडारी, राखी रावत, कलावती, प्रीति खंतवाल आदि शामिल थे।

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