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एंबुलेंस वालों पर कैसे कसेगा शिकंजा

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देहरादून । एंबुलेंस का किराया तय करने के लिए राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की मंजूरी भी अनिवार्य नहीं है। जिला प्रशासन अपने स्तर से भी एम्बुलेंस का किराया तय कर सकता है। दरअसल, एम्बुलेंस परिवहन यान श्रेणी में न होने के कारण एसटीए के दायरे में नहीं है। डीएम महामारी एक्ट के तहत स्थानीय स्तर किराया तय कर सकते हैं। दूसरी तरफ एसटीए अध्यक्ष परिवहन आयुक्त दीपेंद्र चौधरी के चुनाव ड्यूटी में राज्य से बाहर होने से एसटीए की विधिवत बैठक कराने में विलंब हो रहा है। संपर्क करने पर एसटीए सचिव एसके सिंह ने भी डीएम के स्तर से किराया तय करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि महामारी एक्ट में डीएम भी यह र्णय ले सकते हैं।
मालूम हो कि कोरोना संक्रमितों के साथ एम्बुलेंस के जरिए भी काफी लूटखसोट हो रही है। थोड़ी थोड़ी दूरी के लिए एंम्बूलेंस चालक हजारों रुपये वसूल रहे हैँ। सीएम तीरथ सिंह रावत ने किराया तय करने के आदेश दिए हैं। आरटीओ संदीप कुमार सैनी इसका प्रस्ताव बनाकर एसटीए को दे चुके हैं। लेकिन एसटीए की बैठक में हो रहे विलंब के कारण किराया तय नहीं हो पाया है। किराया तय होने में देरी के कारण कोरोना संक्रमितों को राहत नहीं मिल पा रही है। एसटीए सचिव ने बताया कि एम्बुलेंस का किराया एसटीए के दायरे से बाहर रहा है। इसे ट्रांसपोर्ट वाहन के रूप में नहीं लिया जाता है।

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