उत्तराखंड

बैंक सहयोग करेंगे तो महिलाएं आर्थिक रूप से होंगी मजबूत: यादव

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चमोली। बैंकों के सहयोग से स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता दिलाकर आगे बढ़ाया जा सकता है। इसमें जिला और ब्लक मिशन प्रबंधक, बैंकों को आपसी सामंजस स्थापित करना होगा। समूहों को रोजगार के नए-नए आयाम तलाशने की दिशा में अग्रसर रहने की जरुरत है। बैंक महिला स्वयं सहायता समूहों को सहयोग करेंगे तो महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यह बात हैदराबाद से आए नेशनल रिसोर्स पर्सन के विशेषज्ञ जीतेन्द्र यादव और डीडी मिश्रा ने शुक्रवार को जिला पंचायत सभागार में वित्त एवं वित्तीय समावेशन विषय पर बैंकों के साथ आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कही। ग्राम्य विकास विभाग के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के संबंध में बैंकर्स को विस्तृत जानकारी दी गई। जिसमें स्वयं सहायता समूहों के बचत खाता एवं बैंक क्रेडिट लिंकेज में बैंक प्रबंधकों का सहयोग करने और स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों को अधिक से अधिक गतिविधियों से जोड़ने पर बल दिया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए महिला सशक्तीकरण की दिशा में अच्छा प्रयास किया जा रहा है। जिले के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में स्वयं सहायता समूह व संगठन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को प्राप्त होने वाले रिवाल्विंग फंड एवं सामुदायिक निवेश निधि, सीसीएल सीबीआरएम, बैंक सखी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि एसएचजी को आसान शर्तों पराण उपलब्ध किया जाए और इस संबंध में उनकी समस्याओं को समाधान किया जाए। कार्यशाला में एनआईआरडी-पीआर के वित्तीय समावेश प्रबंधक अभिषेक गोस्वामी, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के वित्तीय समावेश प्रबंधक अशीष शाहू, एलडीएम पीएस राणा, समस्त बैकों के प्रबंधक, एनआरएलएम के ब्लाक मिशन प्रबंधक आदि मौजूद रहे। कार्यशाला का संचालन ग्राम्य विकास विभाग के वित्त समन्वयक संजय पुरोहित द्वारा किया गया।

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