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फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने तलब किया निचली कोर्ट से रिकार्ड

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नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 2014 में देहरादून के प्रेमनगर में दीपावली की रात अपने ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने के दोषी को सत्र न्यायालय देहरादून से फांसी की सजा दिए जाने के मामले पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने मामले को सुनने के बाद सत्र न्यायालय का समस्त रिकार्ड तलब किया है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। पांच अक्टूबर 2021 को जिला सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष मिश्रा ने हरजीत को अपने ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। सत्र न्यायलय ने अपने आदेश की पुष्टि करने हेतु यह आदेश उच्च न्यायलय को भेजा था। जिसपर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायलय ने सत्र न्यायालय का सम्पूर्ण रिकार्ड तलब किया।
दरअसल 23 अक्टूबर 2014 को हरमीत ने पिता जय सिंह, सौतेली माता कुलवंत कौर, गर्भवती बहिन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहिन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी। हत्यारे ने पांच लोगो की हत्या करने में चाकू से 85 बार वार किया, जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई। पुलिस ने जांच में पाया कि हरमीत के पिता की दो शादियां थी, उसको शक था कि उसके पिता सारी सम्पति को सौतेली बहिन के नाम पर न कर दे, उसकी सौतेली बहिन एक हप्ता पहले अपनी डिलीवरी के लिए यहां आई हुई थी।
उसकी सालगिरह 25 अक्टूबर को थी, जिसकी वजह से वह अपने बच्चे की डिलीवरी 25 अक्टूबर को ही कराना चाहती थी अगर वह डिलीवरी एक दिन पहले करा लेती तो शायद बच्चे व मां की जान बच सकती थी। इसका फायदा उसने उठाते हुए दीवाली की रात को घर पर पांच लोगो की निर्मम हत्या कर दी। इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया। हत्यारे ने घटना को चोरी का अंजाम देने के लिए अपने हाथ भी काट लिया था। पुलिस जांच में घटना देहरादून की आदर्श नगर का था 24 अक्टूबर 2014 को पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

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