उत्तराखंड

केदारनाथ धाम में भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद

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रुद्रप्रयाग। केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए है। केदारनाथ के कपाट बंद होने से पहले मंगलवार व शनिवार को कपाट बंद होने की परम्परा है। इस अवसर पर भैरवनाथ के पश्वा ने अवरित होकर भक्तों को आशीर्वाद दिया। मंगलवार को केदारनाथ के मुख्य पुजारी ने 12 बजे केदारनाथ मंदिर में भोले बाबा की पूजा अर्चना कर भोग लगाया। इसके बाद केदारनाथ पुजारी, तीर्थ पुरोहित, देवास्थानम बोर्ड के कर्मचारियों के साथ केदारपुरी की पहाड़ी बसे भैरवनाथ मंदिर पहुंचे, जहां भैरवनाथ के कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की गई। भैरवनाथ मंदिर में पुजारी ने दूध व घी से अभिषेक किया। वेदपाठियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया गया। इस दौरान यहां पर पूरी, हलवा, पकोडी का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाया गया। इस दौरान भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला पर भैरवनाथ नर रूप में अवतरित हुए, और यहां उपस्थित भक्तों को अपना आशीर्वाद भी दिया।
इस दौरान भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावतरण भक्तिमय हो गया। मंदिर में करीब दो घंटे चली पूजा-अर्चना के बाद ठीक तीन बजे भगवान भैरवानाथ के कपाट पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बताते चलें कि भगवान भैरवनाथ को भगवान केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद एवं कपाट बंद होने से पहले जो भी पहला मंगलवार व शनिवार आता है, उसी दिन भैरवनाथ के कपाट खोले व बंद करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। यहां पर बनाई गई पूरी, हलवा व पकोडी को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इस अवसर पर केदारनाथ के मुख्य पुजारी बागेश लिंग, प्रशासनिक अधिकारी वाईएस पुष्पाण, भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।

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