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मन की बात में पीएम ने की जल संरक्षण मुहिम में जुटे सच्चिदानंद भारती की तारीफ

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में सालों से जल संरक्षण की मुहिम में लगे पाणि राखो आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानंद भारती की मेहनत और लगन की खूब तारीफ की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारती एक शिक्षक है है और उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को भी शिक्षा दी है। पीएम मोदी ने बताया कि भारती उफरैंखाल में चाल-खाल तकनीकी से पानी का संरक्षण करते है, उनके परिश्रम से इस इलाके में आज जल की कोई कमी नहीं है। कभी यहां लोग पानी के लिए तरसते थे। आज उनकी मेहनत से ही पौड़ी गढ़वाल के उफरैंखाल में क्षेत्र में पानी का संकट समाप्त हो गया है। जहां लोग पानी के लिए तरसते थे वहां आज साल भर जल की आपूर्ति हो रही है। भारती 30 हजार से अधि जल तलैया बना चुके है। उनका यह भगीरथ कार्य आज भी जारी है और अनेकों लोगों को प्रेरणा दे रहे है। पीएम ने कहा कि पहाड़ों में जल संरक्षण का एक पारंपरिक तरीका रहा है कि जिसे चालखाल भी कहा जाता है। यानि पानी जमा करने के लिए एक बड़ा सा गड्ढा खोदना। 
पौड़ी जिले के थलीसैंण ब्लॉक स्थित उफरैंखाल क्षेत्र में जल की समस्या दूर करने के लिए पाणि राखो आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानंद भारती की इस मुहिम के तहत उन्होंने पहाड़ी पर पानी को इकट्ठा करने के लिए छोटी-छोटी जल तलैया बनाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के दौरान जल और जंगल संरक्षण पर भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान पीएम मोदी ने उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पर्यावरणविद् और सेवानिवृत्त शिक्षक सच्चिदानंद भारती का जिक्र किया और उनके द्वारा जंगल संरक्षण के लिए किए गए कार्यों की सराहना की। सच्चिदानंद भारती को जल और जंगल के संरक्षण के लिए जाना जाता है। गढ़वाल में जल और जंगल के संरक्षण के लिए काम कर रहे पर्यावरणविद् सच्चिदानंद भारती का कहना है कि जल, जंगल और जमीन के साथ प्रकृति हमारे जीवन का आधार है। केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि समस्त जीव सृष्टि इस पर निर्भर है। सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जिसे हम जीवन श्रृखंला कहते हैं। यदि इसमें एक भी कड़ी टूटती है तो समूचा जीवन प्रबंध बुरी तरह प्रभावित होता है। हम सभी लोग प्रकृति के ही अंग हैं। इसलिए हमारी प्रकृति के प्रति कुछ जिम्मेदारियां भी हैं। हमें अपनी जीवन पद्धति को प्रकृति के अनुरूप ढालना ही होगा।
तहसीलदार थलीसैंण आरपी ममगांई ने बताया कि उफरैंखाल, कफल गांव थलीसैंण ब्लॉक, भटबौ और गाड़खर्क बीरोंखाल ब्लॉक में आते है। इन गांवों में ही पाणि राखो आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानंद भारती की इस मुहिम के तहत उन्होंने पहाड़ी पर पानी को इकट्ठा करने के लिए छोटी-छोटी जल तलैया बनाई है।

क्या है पाणी राखो आंदोलन

जनपद पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लाक स्थित गाडखर्क गांव के मूल निवासी पर्यावरणविद् और सेवानिवृत्त शिक्षक सच्चिदानंद भारती ने वर्ष 1989 में थलीसैंण ब्लॉक के उफरैंखाल में यह आंदोलन शुरू किया। इसके तहत उन्होंने छोटी-छोटी जल तलैया बनाई, जिनमें बरसाती पानी को रोककर उन्होंने क्षेत्र में 30 हजार जल तलैया बनाई। उसके आस-पास बांज, बुरांस और उत्तीस के पेड़ लगाए। परिणाम यह हुआ कि दस साल बाद सूखा गदेरा सदानीर नदी में बदल गया, जिसे उन्होंने गाड गंगा नाम दिया गया। गदेरे में तब से लगातार पानी चल रहा है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार, भगीरथ प्रयास सम्मान सहित अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। कई सालों से भारती कोटद्वार के भाबर स्थित घमंडपुर गांव में निवास कर रहे हैं।

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